शराबमुक्त बिहार में अब भी 10 लाख पियक्कड़, 55 हजार महिलाएं भी करती हैं नशा

उज्जवल हिमाचल। डेस्क

बिहार में अप्रैल 2020 से लागू शराबबंदी के बावजूद यहां शराब पीने वालों की संख्या में कमी नहीं आई है। एक रिपोर्ट के मुताबिक प्रदेश में 10 लाख अभी भी पियक्कर हैं। इन पियक्कड़ों में 55 हजार महिलाएं भी शामिल हैं। सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय की ओर से भारत में पदार्थ के उपयोग का विस्तार और प्रतिमान पर आधारित राष्ट्रीय सर्वे में ये खुलासा हुआ है। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान दिल्ली के नेशनल ड्रग डिपेंडेंस ट्रीटमेंट सेंटर की ओर से तैयार इस सर्वेक्षण रिपोर्ट में यह भी पता चला है कि राज्य में लगभग 11 लाख लोग भांग का इस्तेमाल कर रहे हैं। वहीं 1.3 लाख व्यक्ति इनहेलेंट्स के एडिक्टेड हैं।

प्रदेश के समाज कल्याण मंत्री मदन साहनी के मुताबिक नशीली दवाओं के दुरुपयोग और परिवर्धन के खतरे हर तरफ बढ़ रहे हैं और हमारा राज्य कोई अपवाद नहीं है। कहा कि समस्या की जाँच के लिए मंत्रालय ने ड्रग डिमांड रिडक्शन के लिए एक राष्ट्रीय कार्य योजना तैयार की है और हाल ही में हमने राज्य में नशा मुक्त भारत अभियान शुरू किया है। मंत्री ने कहा कि-लोगों में किसी भी तरह की नशीली दवा का उपयोग करने से रोकने और उनमें जागरूकता पैदा करने के लिए हमने दरभंगा की सायकिल गर्ल ज्योति कुमारी को राज्य में इस अभियान का राजदूत के रूप में भी नियुक्त किया है।

मंत्री ने कहा कि इस एक्शन प्लान से न केवल नशीली दवाओं के दुष्प्रभावों के बारे में लोगों को शिक्षित और जागरूकता पैदा करने पर ध्यान केंद्रित करेगी, बल्कि इन नशीली दवाओं पर निर्भर व्यक्तियों की पहचान और उनकी परामर्श पर भी ध्यान केंद्रित करेगी। इसके अलावा, सेवा प्रदाताओं को भी परामर्श दिया जाना चाहिए और आजीविका के वैकल्पिक स्रोत प्रदान किए जाने चाहिए।मंत्री मदन साहनी ने कहा कि- युवा पीढ़ी को नशे की ओर धकेला जा रहा है। इसके अलावा मादक पदार्थों की लत किसी विशेष आर्थिक वर्ग के लिए नहीं रही है। यहां तक ??कि अच्छे और गरीब परिवारों तक को भी इसमें धकेला जा रहा है। नशे की लत की वजह से मानव तस्करी और चोरी जैसे अपराधों में वृद्धि का भी एक कारण है। उन्होंने कहा कि मैंने एक ऐसे ड्रग एडिक्ट को जाना है जो उस समय हताश हुआ करता था जब उसे नशीली दवा नहीं मिलती थी तो वह मेडिकल ट्रीटमेंट के लिए अस्पतालों में सप्लाई की जाने वाली स्पिरिट का सेवन नशे के तौर पर करता था। उन्होंने कहा कि नशा मुक्त समाज बनाने के लिए ठोस कार्रवाई करने की तत्काल आवश्यकता है। और बिहार 2016 से ही इस दिशा में काम कर रहा है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पहले ही इसे ड्राइ स्टेट के तौर पर घोषित कर चुके हैं। अब सिर्फ नशीली दवाओं के दुरुपयोग को रोकने की जरूरत है।

समाज कल्याण विभाग सामाजिक सुरक्षा निदेशक दयानिधन पांडे ने कहा कि नशीली दवाओं के दुरुपयोग को रोकने की कार्य योजना मादक पदार्थों की मांग में कमी पर केंद्रित है। और यह तकनीकी फोरम, गैर सरकारी संगठन, ट्रस्ट, अस्पताल और पुलिस जैसे विभिन्न सरकारी और गैरसरकारी एजेंसियों और संगठनों की मदद से किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि आपूर्ति और मांग से ड्रग्स की मांग प्रभावित होती है। नशीली दवाओं की आपूर्ति पर पुलिस और नारकोटिक्स डिपार्टमेंट की सख्ती से अंकुश लगाया जा सकता है लेकिन विभिन्न सामाजिक सरकारी और गैरसरकारी ग्रुप्स और परामर्शदाता ड्रग्स की मांग को रोकने में बड़ी भूमिका निभा सकते हैं। सामाजिक सुरक्षा निदेशक ने कहा कि राज्य और देश में नशीली दवाओं के दुरुपयोग पर यह रिपोर्ट 2019 में जारी की गई थी। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि शराब हमारे देशवासियों द्वारा इस्तेमाल किया जाने वाला सबसे आम पदार्थ है। देश में लगभग 16 करोड़ लोग शराब का सेवन करते हैं, जबकि 3.1 करोड़ लोग भांग और 2.26 करोड़ अफीम का उपयोग करते हैं। उन्होंने कहा कि राज्य में शराब और अन्य नशीली दवाओं के उपयोगकर्ताओं का आंकड़ा बहुत अधिक है। कहा कि राज्य में नशीली दवाओं के दुरुपयोग को रोकने के लिए कड़ी मेहनत करने की जरूरत है।

बिहार में राष्ट्रीय सर्वेक्षण में आए कुछ फैक्ट

  • बिहार में शराबियों की संख्या: 10 लाख
  • बिहार में शराब एडिक्ट महिलाएं: 55,000 से अधिक
  • बिहार में भांग एडिक्ट: 11 लाख
  • बिहार में अफीम एडिक्ट व्यक्ति: 1 लाख
  • बिहार में नशे के एडिक्ट: 1.3 लाख