आरपी नेगी। शिमला
मिशन-2022 यानी अगले विधानसभा चुनाव से पहले राज्य में कांग्रेस और भाजपा के लिए पंचायतीराज चुनाव साख का सवाल बन चुका है। खासकर जयराम सरकार के लिए यह चुनाव चुनौतियों से कम नहीं हैं। हालांकि चुनाव पार्टी सिंबल पर नहीं होते हैं, लेकिन दोनों राजनीतिक दलों ने अंदरखाते संगठनात्मक नुमाइंदों की जीत सुनिश्चित करने के लिए रणनीति तैयार कर दी है। कोरोना संकट के बीच अब िमनी संसद यानी पंचायतीराज चुनावों के लिए हिमाचल में कांग्रेस और भाजपा की सियासत तेज हो चुकी है। प्रदेश की 3615 पंचायतों में वीरवार से नामांकन प्रक्रिया भी शुरू हो गई है जो आगामी दो जनवरी तक चलेगी और 17, 19 और 21 जनवरी को तीन चरणों में वोटिंग होनी है।
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पंचायतीराज चुनाव पर कब्जा जमाने के लिए दोनों राजनीतिक दलों ने अंदरखाते तेज की सियासी जंग
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राज्य की 389 नई पंचायते लिखेंगी विकास की नई गाथा
जबकि 29 नगर परिषद और 21 नगर पंचायतों में 10 जनवरी को वोटिंग होगी। सत्तासीन पार्टी भाजपा और विपक्ष कांग्रेस की नगाहें भले ही िमनी संसद पर हों, मगर निशाना 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव पर हैं। इस बार राज्य में इस बार 389 नई पंचायतें विकास की नई गाथा लिखेंगी। कांग्रेस और भाजपा से संबंध रखने वाले लोकल लीडर्स वोट बैंक पक्का करने में जुट गए हैं। यही नहीं, बल्कि कोरोना महामारी की परवाह किए बिना दोनों राजनीतिक दलों के लोग दावेदारी के साथ गुपचुप तरीके से बैठकें कर रहे हैं। पूरा विश्व कोरोना महामारी से लड़ रहा है, मगर सत्तासीन पार्टी यानी भाजपा नेताओं को सिर्फ पंचायत चुनाव की चिंता सता रही है।
53 लाख 33 हजार वोटर्स करेंगे प्रधानगिरी का फैसला
तीन चरणों में होने वाली वोटिंग में प्रदेश के 53 लाख 33 हजार मतदाता प्रत्याशियों का चयन करेंगे। प्रदेश की 3615 पंचायतों को प्रधान, उप प्रधान और 21 हजार 390 वार्ड मेंबर्स मिलेंगे। जिला परिषद सदस्य 249 और बीडीसी में 1792 सदस्यों के लिए चुनाव होना है।
राठौर और कश्यप के लिए साख का सवाल
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कुलदीप सिंह राठौर और भाजपा अध्यक्ष सुरेश कश्यप के नेतृत्व में पहला चुनाव हो रहा है। दोनों के लिए पंचायतीराज का चुनाव साख का सवाल भी बन चुका है। खासकर सत्तासीन पार्टी यानी भाजपा प्रतिनिधियों की जीत सुनिश्चित करवाने के लिए हर संभव जोर लगा रही है। दूसरी तरफ विपक्ष यानी कांग्रेस भी कोई कसर नहीं छोडऩा चाहती।