70 साल बाद भारी लाव-लश्कर के साथ बल्ह पहुंची ‘देवी टौणी भगवती’

उमेश भारद्वाज। मंडी

देवभूमि हिमाचल प्रदेश के कण-कण में देवी-देवताओं का वास है। हिमाचल अपनी अनुठी देव-संस्कृति के लिए विश्व भर में प्रसिद्ध है। हिमाचल प्रदेश में देवी टौणी भगवती के दो मुख्य मंदिर हमीरपुर और मंडी जिला के चच्योट में स्थित है। चच्योट उपमंडल के पिपला गलू के घाटलू ठाहर में टौणी देवी का भव्य काष्ठ का मंदिर मंदिर बना हुआ है तथा गर्भ गृह मे देवी की पशाण की सुंदर मूर्ति विराजमान है। मंदिर से कुछ दूरी पर देवी का भंडार घर मौजूद है जहां देवी का रथ विराजमान होता है। जानकारी देते हुए बनयूरी देव के पुजारी डोला राम ने बताया कि देवी भगवती टौणी अपने लाव लश्कर के साथ पहली बार बल्ह क्षेत्र में 70 किलोमीटर का पैदल सफर कर शनिवार को ढावन गांव में अपने भक्त प्रविन ठाकुर के घर धाम के लिए पहुचीं है।

सुकेत सर्व देवता कमेटी ने भी किया टौणी भगवती का स्वागत…

टौणी भगवती के बल्ह आगमन पर सुकेत सर्व देवता कमेटी के अध्यक्ष डॉ. अभिषेक सोनी ने देवी का स्वागत लोहारा गांव में किया। अभिषेक सोनी ने कहा कि देवी माता बल्ह की आराध्य देवी कोयला भगवती राजगढ़ से मिलते हुए ढावन रवाना हुई तथा मंदिर टांडा में कोयला मंदिर कमेटी तथा गांव वासियों ने देवी का स्वागत पुष्प वर्षा कर किया। उन्होंने कहा कि देवी को नाचन के आराध्य देव बाला कामेश्वर बनयूरी की बहन माना जाता है तथा देवी टौणी केवल एक मात्र ऐसी देवी है जिन्हें देवता के गढ़ जाने का अधिकार प्राप्त है।

क्या कहते हैं टौणीदेवी के गुर पूर्ण चंद…

देवी के गुर देवता पूर्ण चंद ने कहा कि देवी टौणी भगवती के पास संपूर्ण हिमाचल प्रदेश से श्रद्धालु आते हैं तथा देवी सभी भक्तो की मनोकामना पूरा करती है। देवी जब देवी का आगमन शरीर में होता है तो देवी आग तथा जलते कोयलो का भोजन ग्रहण करती है। देवी माता के पास अनेकों भक्त आते है तथा अपनी मनोकामना पूर्ण करके जाते है। देवी भगवती 150 देवलुओं के साथ आज बल्ह क्षेत्र मे आई है। कल अपने भंडार के लिए रवाना होगी।