उज्ज्वल हिमाचल। मंडी
कृषि वैज्ञानिक कल्याण संघ द्वारा भारत में हरित क्रांति के जनक डॉण् एमएस स्वामीनाथन को श्रद्वांजलि देने के लिए शुक्रवार को चक्कर में एक बैठक का आयोजन किया गया। इसमें डॉण् स्वामी नाथन के निधन पर शोक व्यक्त किया गया तथा दो मिनट का मौन रखकर उन्हें श्रद्धांजलि दी गई।
जानकारी देते हुए संघ के महासचिव डॉ. एआर शर्मा ने बताया कि बैठक में डॉ. एमएस स्वामीनाथन द्वारा कृषि क्षेत्र में किए गए अभूतपूर्व विकास पर विस्तृत चर्चा की गई। डॉ. एमएस स्वामीनाथन द्वारा कृषि क्षेत्र में किए गए योगदान पर चर्चा करते हुए संघ के संस्थापक सदस्य डॉ. आरके राजू ने कहा कि उन्होंने डॉ. स्वामीनाथन के साथ काम किया है।
एमएस स्वामी नाथन ने कृषि क्षेत्र में बेहतर कार्य किया
उन्होंने बताया कि वह ऐसे वैज्ञानिक थे। जिन्होंने कृषि क्षेत्र में बेहतर कार्य कियाए इसलिए उन्हें हरित क्रांति के जनक के रूप में जाना जाता था। उन्होंने नोबल पुरस्कार से सम्मानित डॉ. बोरलोग के साथ मिलकर गेहूं की बौनी किस्म को इजाद किया था। उन्होंने यह खोज की थी कि यदि गैहूं के पौधे की लम्बाई कम हो तो पैदावार बढ़ाई जा सकती है और इस प्रकार भारत में गेहूं की बौनी किस्मों का प्रचलन शुरू हुआ।
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धान की अधिक उपज देने वाली किस्म को महत्वपूर्ण भूमिका निभाई
जिससे भारत वर्ष कुछ समय बाद आत्मनिर्भर हुआ तथा देश से बाहर भी गेैहूं अन्य देशों में भेजे जाने लगी । धान की अधिक उपज देने वाली किस्म को भी इजाद करने में उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। वर्ष 2004 में राष्ट्रीय किसान आयोग का गठन किया गयाए इसका अध्यक्ष डॉण् एमएस स्वामीनाथन को बनाया गया। उन्होंने किसानों के सशक्तिकरण के लिए कई कार्य किए। स्वामीनाथन आयोग की दो सिफारिशें न्यूनतम समर्थन मूल्य को औसत लागत से 50 प्रतिशत अधिक रखना व महिला किसानों के लिए क्रेडिट कार्ड अहम साबित हुई।
संघ ने डॉ. स्वामीनाथन को भारत रतन देने की मांग की
संघ ने कृषि क्षेत्र में डॉ. स्वामीनाथन द्वारा किए गए कार्य के लिए उन्हें भारत रतन देने की भी मांग की है। संघ द्वारा कृषि विश्वविद्यालय के उपकुलपति से आह्वान किया कि विश्वविद्यालय में रवि और खरीफ फसलों पर जो भी कार्यशाला होती है उसमें कृषि वैज्ञानिक कल्याण संघ को भी शामिल किया जाए ताकि वह कृषि क्षेत्र में अपने.अपने सुझाव दे सके।