किसानों और पशुपालकों को कृषि विश्वविद्यालय ने जारी की सलाह

Agriculture University issued advice to farmers and animal husbandry
नवजात बछड़ों को ठंड से बचाये

उज्जवल हिमाचल। पालमपुर

चौसकु हिमाचल प्रदेश कृषि विश्वविद्यालय के प्रसार शिक्षा निदेशालय ने लंबे समय तक सूखे की स्थिति को ध्यान में रखते हुए किसानों और पशुपालकों को कृषि सलाह जारी की है। वैज्ञानिकों के मुताबिक अधिकांश किसानों ने अक्टूबर और नवंबर की शुरुआत में नियमित बारिश के कारण उपलब्ध नमी का उपयोग करते हुए गेहूं की फसल बोई है, हालांकि अभी भी जिन किसानों ने गेहूं की फसल नहीं बोई है उन्हें बारिश के बाद ही बुआई करने की सलाह दी जाती है। पिछेती बिजाई के लिए बुवाई के लिए अनुशंसित गेहूं की किस्मों में वीएल 892, एचएस 490 और एचपीडब्ल्यू 373 (हिम पालम गेहुं 3) शामिल हैं। इसके अलावा, किसानों को गेहूं की बुवाई के लिए 6 किलो / कनाल (150 कि.ग्रा. प्रति हेक्टेयर) की उच्च बीज दर का उपयोग करना चाहिए।

लंबे समय तक सूखे के कारण गेहूं की फसल में एफिड (तेला कीट) के हमले की संभावना है। अत: सलाह दी जाती है कि किसान अपनी फसल की नियमित निगरानी करें और इसके नियंत्रण के लिए अनुशंसित कीटनाशकों का उपयोग करें। इसी तरह, सब्जियों की फसलों में, विशेष रूप से गोभी वर्गीय फसलों में भी एफिड का प्रकोप बढ़ सकता है, जिसकी निगरानी और जाँच करने की आवश्यकता है। इस सूखे दौर के परिणामस्वरूप गेहूं में पीला रतुआ फफूंदी के साथ-साथ अन्य रोगों की घटनाओं में भी वृद्धि हो सकती है। किसानों को नियमित रूप से गेहूं की फसल की निगरानी करनी चाहिए और इन रोगों को नियंत्रित करने के लिए अनुशंसित रसायनों का प्रयोग करना चाहिए।

किसानों को यह भी सलाह दी जाती है कि वे खेत में खड़ी सब्जियों की फसलों में मल्च सामग्री का उपयोग करें जो मिट्टी की नमी के संरक्षण के साथ-साथ मिट्टी के तापमान को बनाए रखने में मदद करेगी। पिछले कुछ दिनों से तापमान में तेजी से गिरावट आई है जिसके परिणामस्वरूप कोहरे की संभावना हो सकती है जिससे सब्जियों के साथ-साथ फलदार पेड़ों पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है।

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कोहरे से होने वाले नुकसान से बचने के लिए किसानों को हल्की और बार-बार सिंचाई करनी चाहिए। किसान खेतों में पौधों की व्यर्थ सामग्री या घास फूस को जलाकर धुंआ पैदा कर अपनी फसलों को कोहरे से बचा सकते हैं। पशुपालकों के लिए विशेषज्ञों ने बताया कि वह अपने पशुओं को ताजा व स्वच्छ पानी ही पिलाये जो अधिक ठंडा न हो। नवजात बछड़ो को किसी बोरी या तरपाल से ढक दें तथा धूप निकलने पर हटा दें। मुर्गियों के लिए रोशनी की व्यवस्था कर लें।

प्रसार शिक्षा निदेशालय के वैज्ञानिकों के मुताबिक 2022-23 के वर्तमान रबी सीजन (22 दिसंबर 2022 तक) के दौरान हिमाचल प्रदेश राज्य में कुल वर्षा 58.0 मिमी हुई है जो सामान्य (66.3 मिमी) से 13% कम है। बिलासपुर, मंडी, शिमला और सिरमौर जिलों में अधिक वर्षा (सामान्य से 20% अधिक) हुई है, जबकि चंबा, कांगड़ा, कुल्लू और सोलन जिलों में सामान्य वर्षा (सामान्य से 19% कम और सामान्य से 19% अधिक) हुई है।

हमीरपुर, किन्नौर और लाहौल और स्पीति जिलों में कम वर्षा (सामान्य से 20 से 59% कम) हुई है, जबकि ऊना जिले में अल्प वर्षा (सामान्य से 60% से अधिक) हुई है। साथ ही राज्य में वर्तमान रबी सीजन के दौरान अधिकांश वर्षा 01 अक्टूबर 2022 से 15 नवंबर 2022 के बीच हुई, जिसमें 15 नवंबर के बाद बहुत कम या बहुत कम वर्षा हुई। चूँकि राज्य में 80% से अधिक खेती योग्य क्षेत्र अपनी पानी की आवश्यकता के लिए वर्षा पर निर्भर है, लगभग 40 दिनों की अवधि में वर्षा की कमी का राज्य में खेती की जा रही विभिन्न फसलों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है।

संवाददाताः ब्यूरो शिमला

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