आंगनबाड़ी वर्करज़ व सीटू ने रीना देवी की हत्या पर ठियोग में किया शोक सभा का आयोजन

Anganwadi workers and CITU organized a condolence meeting in Theog on the murder of Reena Devi
आंगनबाड़ी वर्करज़ व सीटू ने रीना देवी की हत्या पर ठियोग में किया शोक सभा का आयोजन

उज्जवल हिमाचल। शिमला
आंगनबाड़ी वर्करज़ एवम हेल्परज़ यूनियन सम्बन्धित सीटू की ठियोग प्रोजेक्ट इकाई ने बलग सर्कल के कोट आंगनबाड़ी केंद्र की कर्मी रीना देवी की 9 फरवरी को की गई हत्या के मुद्दे पर ठियोग के सराए हॉल में एक शोक सभा का आयोजन किया। इसके बाद रीना देवी को न्याय दिलाने के लिए जोरदार रैली व प्रदर्शन किया।

लोक निर्माण विभाग रेस्ट हाउस से शुरू हुई रैली ठियोग बाजार से होते हुए आईसीडीएस के परियोजना अधिकारी कार्यालय पहुंची व जोरदार नारेबाजी के बीच धरना दिया। प्रदर्शन में रीना, कला, सत्या, सुनीता, गंगेश्वरी, लता, निर्मला, ममता सहित लगभग दो सौ आंगनबाड़ी कर्मी मौजूद रहे।

प्रदर्शन को सीटू प्रदेशाध्यक्ष विजेंद्र मेहरा, जिला महासचिव अजय दुलटा, जिला सचिव सुनील मेहता व आंगनबाड़ी यूनियन जिला महासचिव खीमी भंडारी ने सम्बोधित किया। इस दौरान यूनियन का प्रतिनिधिमंडल आइसीडीएस के ठियोग परियोजना अधिकारी से मिला व उनके माध्यम से विभाग के निदेशक को ज्ञापन सौंपा।

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वक्ताओं ने प्रदेश सरकार से सरकारी डयूटी के दौरान की गई हत्या की एवज़ में पीड़िता के परिवार को 25 लाख रुपये की आर्थिक सहायता देने की मांग की। उन्होंने पीड़िता के परिवार से किसी एक सदस्य को महिला एवं बाल विकास विभाग हिमाचल प्रदेश में नियमित सरकारी नौकरी देने की मांग की।

उन्होंने चेताया कि अगर पीड़िता के परिवार को आर्थिक मदद व सरकारी नौकरी न मिली तो यूनियन आंदोलन तेज करेगी। उन्होंने कहा कि आंगनबाड़ी कर्मी व सहायिकाएं पहले ही भारी आर्थिक व सामाजिक शोषण की शिकार हैं। उन्हें केवल 9000 रूपए व 4700 रुपये मानदेय मिलता है।

पूरे देश की तुलना में यह बेहद कम है। पड़ोसी राज्यों हरियाणा व पंजाब में आंगनबाड़ी कर्मियों को वेतन व सामाजिक सुरक्षा हिमाचल प्रदेश से कई गुणा बेहतर है। उन्हें पेंशन, माननीय सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद ग्रेच्युटी, ईपीएफ आदि सुविधाएं नहीं मिलती हैं। 15वें भारतीय श्रम सम्मेलन की सिफारिशों के बावजूद उन्हें नियमित नहीं किया जा रहा है।

आंगनबाड़ी केंद्रों को वेदांता कम्पनी के हवाले करके निजीकरण की शुरुआत हो चुकी है। आइसीडीएस के बजट में लगातार कटौती की जा रही है। पोषण ट्रैकर ऐप के नाम पर कर्मियों का मानसिक शोषण किया जा रहा है। मिनी आंगनबाड़ी केंद्रों में कार्यरत कर्मी दोहरे शोषण के शिकार हैं।

सहायिका की नियुक्ति न होने से उनसे दो कर्मियों के बराबर काम लेने के बावजूद आम आंगनबाड़ी कर्मी के मुकाबले उन्हें तीन हज़ार रुपये कम मानदेय दिया जाता है। आंगनबाड़ी कर्मियों को प्री प्राइमरी भर्तियों से भी बाहर किया जा रहा है। उन्हें पूरा मानदेय एकमुश्त नहीं मिलता है।

आंगनबाड़ी केंद्रों का किराया भी कम मिलता है। राशन के पैसे का समयबद्ध भुगतान नहीं होता है। ऐसी परिस्थितियों में कार्य करने के बावजूद भी कर्मियों की कोई सामाजिक सुरक्षा नहीं है। रीना देवी की हत्या इसका प्रत्यक्ष सबूत है जहां पर एक व्यक्ति ने आंगनबाड़ी केंद्र के अंदर ही दिन – दहाड़े उनकी हत्या कर दी। सेवा के दौरान हुई हत्या के बावजूद भी रीना देवी को विभाग से एक नियमित कर्मचारी की तर्ज़ पर कोई आर्थिक सहायता नहीं मिली।

संवाददाताः ब्यूरो शिमला

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