फसल विविधिकरण अपनाकर प्रेरणास्रोत बना एक कर्मठ किसान : सुरेश कुमार

कार्तिक। बैजनाथ

हिमाचल प्रदेश फसल विविधिकरण प्रोत्साहन परियोजना (जायका) के अंतर्गत उप परियोजना रागलू कूहल गांव सगूर तहसील बैजनाथ के निवासी सुरेश कुमार जिनकी आय का मुख्य स्रोत कृषि है। पहले ये मुख्यतः खाद्यान्न फसलें उगाते थे और कुछ भाग में सब्जियां व अन्य नगदी फसलें उगाते थे। पर्याप्त सिंचाई सुविधा उपलब्ध न होने के कारण ये केवल गेहूं धान आदि तक ही सीमित थे और अधिक सब्जियां व नगदी फसलें उगाने के बारे में नहीं सोच पा रहे थे। ये एक बहुत ही मेहनतकश किसान हैं, परंतु अपनी मेहनत का उचित फायदा नहीं उठा पा रहे थे।

वर्ष 2011-12 में हिमाचल प्रदेश फसल विविधिकरण प्रोत्साहन परियोजना (जायका) के आगमन से इनके क्षेत्र में बहाव सिंचाई योजना रागलू कुहल का निर्माण हुआ। इसके अतिरिक्त परियोजना द्वारा समय-समय पर प्रशिक्षण शिविर लगाकर उन्नत कृषि विधियों, बीजों व कृषि यंत्रों आदि की जानकारी दी गई तथा उन्नत किस्म के बीज भी उपलब्ध कराए गए। परियोजना के कार्यों को सुचारू रूप से चलाने के लिए किसान विकास एसोसिएशन का गठन करके उसे सोसायटी एक्ट के अधीन पंजीकृत करवाया गया। वहीं, किसान सुरेश का कहना है कि इनके पास लगभग 15 कनाल कृषि भूमि है। परियोजना की गतिविधियों से प्रेरित होकर उन्होंने अपने पूरे ही क्षेत्र में फसल विविधिकरण अपनाने का निर्णय लिया।

परियोजना स्टाफ की सहायता से कार्य योजना तैयार करके अपने पूरे क्षेत्र में सब्जी उत्पादन शुरू कर दिया। इनके उत्साह को देखते हुए किसान विकास एसोसिएशन, रागलू ने पोलीहाउस लगाने के लए भी इन्हें चुना। पोलीहाउस लगाने के बाद इन्होंने सीजनल सब्जियों के पौध उगाने के साथ-साथ बेमौसमी सब्जियां भी तैयार करनी शुरू कर दी।
किसान सुरेश कुमार के अनुसार पहले जिस क्षेत्र से ये पूरे वर्ष में केवल 70 से 75 हजार रूपए कमाते थे, वहां से अब ये केवल एक सीजन में ही लगभग सवा से डेढ़ लाख रूपए कमा रहे हैं। पिछले वर्ष रबी सीजन में इन्होंने 12 कनाल क्षेत्र में मुख्यतःमटर, गोभी, मुली व ब्रोकली लगाई थी।

इस से इन्होंने मटर 8.5 क्विंटल 35 रूपए प्रति किलो, गोभी 48 क्विंटल 14 रूपए प्रति किलो, मुली 25 क्विंटल 10 रूपए प्रति किलो तथा ब्रोकली 4 क्विंटल 40 रूपए प्रति किलो के हिसाब से बेचीं। इसके अतिरिक्त मेथी, धनिया, प्याज लहसुन तथा व गोभी और ब्रोकली के पौध भी गांव वालों को सस्ते दामों पर उपलब्ध करवाए। खरीफ सीजन में इन्होने मुख्यतः फ्रासबीन, बैंगन, टमाटर, घिया, खीरा व करेला आदि फसले लगाईं।

इस से इन्होंने करेले 12 क्विंटल 15 रूपए प्रति किलो, खीरा 25 क्विंटल 10 रूपए प्रति किलो, टमाटर 12 क्विंटल 20 रूपए प्रति किलो तथा बैंगन 5 क्विंटल 30 रूपए प्रति किलो के हिसाब से बेचीं। इसके अतिरिक्त करेला, घिया, खीरा, मिर्च, शिमला मिर्च व टमाटर के पौध भी तैयार करके अपने गांव तथा आसपास के अन्य गांव में भी उपलब्ध करवाए। इस प्रकार इन्होंने रबी सीजन में लगभग 1 लाख 65 हजार व खरीफ सीजन में लगभग 1,25,000 रूपए कमाए। उन्होंने अपने उत्पाद को बैजनाथ सब्जी मंडी व कुछ मात्रा लोकल बाजार में बेचीं।

सुरेश कुमार आज की युवा पीढ़ी के लिए प्रेरणास्रोत है। इनको देखते हुए इसी गांव के अन्य किसान अजय कुमार, चंचल सिंह, बिपत सिंह, यशपाल, जगतंबा प्रसाद, संजय कुमार आदि भी फसल विविधिकरण को अपना रहे हैं तथा वैश्विक महामारी के इस दौर में अपना व अपने परिवार का भरन पोषण कर रहे हैं।