एक ऐसा गांव जहां पर बेटियाें के जन्म पर हाेता है उत्सव

उज्जवल हिमाचल ब्यूराे । लाहुल-स्पीति

शीत मरुस्थल लाहुल-स्पीति में एक ऐसा भी गांव है, जहां बेटियों के जन्म पर उत्सव होता है। यह परंपरा सदियों से चली आ रही है। यह विश्व का पहला ऐसा गांव है, जहां पुत्री प्राप्ति के बाद गांव के लोग मिलकर जश्न मनाते हैं। वर्तमान में वेशक भ्रूण हत्या कर बेटियों को जन्म होने से पहले ही कोख में मारा जाता है, लेकिन लाहुल का यह गांव पुत्री सम्मान के लिए पूरे विश्व के लिए एक उदारहण है।

यही नहीं लाहुल के ही अन्य गांवों में इस तरह का उत्सव सिर्फ पुत्र प्राप्त होने पर ही मनाया जाता है, लेकिन घाटी का प्यूकर गांव में अलग ही परंपरा है और यहां बेटी पैदा होने पर गोची उत्सव का आयोजन होता है। दरअसल पूरी घाटी में आजकल गोची उत्सव मनाया जाता है।

लाहुल के जिस गांव में जितने पुत्र पैदा होते हैं, उतने ही उत्सव होते हैं और गांव वाले मिलकर इस तरह का आयोजन करते हैं, लेकिन यहां सिर्फ यह परंपरा पुत्र प्राप्त होने पर ही है, किंतु घाटी का एक मात्र गांव प्यूकर सदियों से बेटियों के पैदा होने पर उत्सव मनाने के लिए उदाहरण बना हुआ है। घाटी के लोगों ने बताया कि अन्य गांवों में बेटा पैदा होने पर इस तरह का आयोजन होता है, लेकिन प्यूकर गांव में जो होता है, वह पूरे विश्व के लिए एक मॉडल रोल गांव बन सकता है यदि सरकार की नजर-ए इनायत हो तो। घाटी के युवक कुंगा बौद्ध ने बताया कि आजकल यह उत्सव चला हुआ है और गांव में दो बेटियां पैदा हुई है।

उन्होंने बताया कि गांव के सभी लोग मिलकर इस आयोजन को करते हैं। जनजातीय जिला की लाहुल-स्पीति के गाहर घाटी में हलडा-कुस उत्सव के बाद गोची उत्सव मनाया जा रहा है। घाटी में लड़कों के जन्म पर गोची उत्सव मनाने की परंपरा है। बेटे के जन्म पर परिवार पूरे गांव और रिश्तेदारों को गोची उत्सव पर धाम के लिए निमंत्रण भेजता है, जबकि बच्चे के खुशहाल भविष्य के लिए इष्ट देवता की पूजा-अर्चना की जाती है। वहीं, घाटी में प्यूकर एक ऐसा गांव भी हैं, जहां सदियों से गोची उत्सव बेटियों के जन्म पर भी मनाया जाता हैं। इस वर्ष 4 से 8 फरवरी तक यहां गोची उत्सव मनाया गया।

इस दौरान गांव के मुख्य देवता तंगजर की विशेष पूजा-अर्चना के साथ बेटियों के बेहतर भविष्य के लिए कामना करते हैं। देवता की पूजा के बाद शाम को तीर-कमान का खेल खेला जाता है, नृत्य किया जाता है और जश्न मनाया जाता है। गांव के युवक छेरिंग टशी छरजिपा ने बताया की गांव में बीते एक वर्ष में 3 बच्चों का जन्म हुआ, जिसमें 2 बेटी और 1 बेटे का जन्म हुआ। जिससे गांव में 3 घर में गोची मनाया गया। उन्होंने कहा आज कल लड़कियां अपनी मेहनत और हौंसले के बलबूते नई बुलंदियों को छू रही हैं। बेटा-बेटी एक समान है। प्यूकर गांव में बेटे के साथ-साथ बेटी के जन्म पर गोची उत्सव का आयोजन कर परिवार के साथ पूरा गांव फक्र महसूस कर रहा है।

इस वर्ष स्नो फेस्टिवल के अंतर्गत मनाया जा रहा गोची उत्सव
उपायुक्त लाहुल-स्पीति पंकज राय खुद प्यूकर गांव के गोची उत्सव में पहुंचे और जिनके घर में गोची है, उन परिवारों को सम्मानित किया और कहा बेटे के साथ-साथ बेटी की जन्म पर भी इस तरह की पहल समाज के लिए सराहनीय है। इस परंपरा को कायम रखने के लिए सभी को बधाई दी। पंकज राय ने कहा कि स्नो फेस्टिवल से पर्यटकों में भी लाहुल की यात्रा के प्रति बहुत उत्साह है। भविष्य में पर्यटकों को भी लाहुल की संस्कृति से भागीदारी कर रू-बरू होने का मौका मिलेगा।