बरमाणा में 68 दिनों के विवाद के बाद अब जाकर शुरु हुई सीमेंट कंपनी

Cement company started after 68 days of dispute in Barmana
ट्रक ऑपरेटर्स और अडानी ग्रुप प्रबंधन के बीच हुई मध्यस्ता
उज्जवल हिमाचल। बिलासपुर

अडानी ग्रुप प्रबंधन ट्रक ऑपरेटर्स के बीच माल भाड़ा किराए को लेकर चला विवाद आखिरकार प्रदेश सरकार की मध्यस्ता के बाद सुलझा गया है। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू की अध्यक्षता में आयोजित बैठक में सीमेंट कम्पनी प्रबंधन व ट्रक ऑपरेटर यूनियन के बीच किराए पर बनी सहमति बनने पर करीब 68 दिनों के बाद बिलासपुर का बरमाणा सीमेंट प्लांट खुल गया है।

गौरतलब है कि सीमेंट कंपनी प्रबंधन एक अंक में माल भाड़ा किराया देने की बात कर रहा था, जबकि बरमाणा ट्रक ऑपरेटर्स की मांग 12 रुपए 04 पैसे प्रति टन प्रति किलोमीटर की मांग कर रहे थे। जिसके बाद सरकार की मध्यस्ता में शिमला में आयोजित कई बैठकें बेनतीजा रही और आखिरकार 20 फरवरी को सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू की अध्यक्षता में आयोजित बैठक में नया माल ढुलाई भाड़ा दर 12 टन के सिंगल एक्सल ट्रकों के लिए 10.30 रूपए प्रति टन प्रति किमी जबकि मल्टी एक्सल 24 टन ट्रकों के लिए नया दर 9.30 रुपए प्रति टन प्रति किलोमीटर तय की गई है।

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वहीं नई दरें निर्धारित होने के साथ ही सीमेंट प्लांट कम्पनी प्रबंधन व ट्रक ऑपरेटर्स के बीच चला विवाद थम गया और आज से सीमेंट प्लांट खुल गए हैं। वहीं बीडीटीएस बरमाणा के प्रतिनिधियों व सीमेंट कंपनी प्रबंधन के बीच किराए की नई दरों पर जल्द ही एमओयू साइन किया जाएगा।

वहीं सरकार की मध्यस्ता के बाद तय नई दरों को लेकर ट्रक ऑपरेटर्स व बीडीटीएस पूर्व प्रधान रमेश ठाकुर व जीत राम गौतम का कहना है कि इस किराए से ट्रक ऑपरेटर्स को नुकसान उठाना पड़ेगा जबकि अल्ट्राटेक कंपनी ट्रक ऑपरेटर्स को 10 रुपये 71 पैसे प्रति टन प्रति किलोमीटर दे रही है तो इसी रेट पर अडानी ग्रुप व ऑपरेटर्स के बीच सहमति ना बनते हुए 10 रुपये 30 पैसे ही किराया फाइनल किया गया जो कि ऑपरेटर्स के हितों के खिलाफ है।

वहीं ट्रक ऑपरेटर्स का यह भी कहना है कि सरकार की मध्यस्ता के बाद सीमेंट प्लांट खुलने से ट्रक ऑपरेटर्स, चालक, इससे जुड़े दुकानदारों व ढाबा संचालकों की माली आर्थिक स्थिति एक बाद फिर सुधरेगी और जीवन पटरी पर आएगी। वहीं ऑपरेटर्स ने डिस्पैच वॉल्यूम को लेकर भी सीमेंट कंपनी प्रबंधन से मांग की है कि पहले की तरह की अब भी पंजाब, हरियाणा, जम्मू कश्मीर जैसे अन्य राज्यों के लिए डिस्पैच वॉल्यूम तय की जाए ताकि ऑपरेटर्स को घाटा ना हो सके।

संवाददाता : सुरेंद्र जम्वाल

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