चंबा की सीमा का गरीबी में गुजरा बचपन, जिद और जुनून से जीती जिंदगी की दौड़

Childhood of the border of Chamba passed in poverty, the race of life won by stubbornness and passion
चंबा की सीमा का गरीबी में गुजरा बचपन, जिद और जुनून से जीती जिंदगी की दौड़

चम्बा:- गुजरात में आयोजित 36वें नेशनल गेम्स में हिमाचल की एथलीट सीमा ने लगातार दो दिन दमदार प्रदर्शन कर देश का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया है। सीमा ने पहले 5,000 मीटर में रजत और अगले ही दिन 10,000 मीटर दौड़ में स्वर्ण पदक जीतकर साबित कर दिया कि पहाड़ी प्रदेशों के एथलीट अलग ही मिट्टी के बने होते हैं।

सीमा ने 33 मिनट 08 सेकेंड में यह दौड़ पूरी की। अब सीमा का लक्ष्य अगले साल सितंबर में चीन के ग्वांग्झू में होने वाले एशियन गेम्स हैं। 21 वर्षीय यह एथलीट अब तक जूनियर और सीनियर वर्ग में 22 राष्ट्रीय पदक जीत चुकी है। चार बार अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में भी चमक बिखेरी है। यही नहीं, सीमा के नाम नेशनल यूथ एथलेटिक्स चैंपियनशिप सहित चार नेशनल रिकार्ड हैं। इस समय सीमा भोपाल में सेंटर आफ एक्सीलेंस में प्रशिक्षण ले रही हैं।

एथलीट सीमा का जीवन परिचय 

जन्म : 10-1-2002

माता का नाम : केसरो देवी

पिता का नाम : स्वर्गीय बजीरू राम

गांव-रेटा, डाकघर-जुलाहड़ा, तहसील-चंबा

आसान नहीं रहा सफर

पहाड़ी राज्य हिमाचल के दूरदराज और पिछड़े जिला चंबा के दुर्गम गांव रेटा की सीमा ने 15 साल पहले कामयाब एथलीट बनने का सपना देखा था। 12 साल की थी जब सिर से पिता का साया उठ गया। घर की वित्तीय स्थित ठीक नहीं थी। जीवन यापन का साधन थोड़ी सी खेती और पशुपालन ही था। गुजारा मुश्किल से होता था। लेकिन बचपन से ही जिद थी कि जीवन बदलना है। कुछ अलग करना है। इसलिए इस बच्ची ने खेतों की पगडंडियों में दौड़ लगाना शुरू कर दिया। बाद में स्कूल स्तर की प्रतियोगिताओं में सफलताएं मिलीं, जिला और फिर राज्य स्तर तक यह क्रम बना रहा।

साई हॉस्टल से भरी सफलता की उड़ान

इसी दौरान हमीरपुर में एक प्रतियोगिता में धर्मशाला साई स्पोर्ट्स हॉस्टल के कोच केहर सिंह पटियाल की नजर सीमा पर पड़ी और उन्होंने इसे साई आने का निमंत्रण दे दिया। गांव के स्कूल के छोटे से मैदान में प्रैक्टिस कर 2015 में साई स्पोर्ट्स हास्टल धर्मशाला में प्रवेश के बाद सीमा की उपलब्धियों का क्रम और तेज हो गया।

मात्र दो साल में ही नौ मेडल जीत लिए हैं। इनमें जूनियर नेशनल रांची में 2000 मीटर दौड़ में स्वर्ण, नेशनल पाईका आंध्रप्रदेश में 3000 मीटर में स्वर्ण, 1500 मीटर में कांस्य, स्कूल नेशनल चैंपियनशिप में 2000 मीटर में कांस्य सहित स्कूल नेशनल केरल में रजत पदक शामिल है। सीमा के कोच रहे केहर सिंह कहते हैं कि ट्रायल के दौरान जब सीमा ने हॉस्टल की प्रशिक्षित लडकियों को भी पीछे छोड़ दिया।

तब मुझे महसूस हुआ कि यह लड़की काफी आगे जा सकती है, और ऐसा हुआ भी। सीमा के आरंभिक कोच केएस पटियाल एक किस्सा याद करते हुए कहते हैं कि एक बार अभ्यास के दौरान सीमा को एक कुत्ते ने काट लिया, मैंने उन्हें कुछ दिन आराम करने के लिए कहा लेकिन वह नहीं मानीं। इंजेक्शन लगने से वह ज्यादा दौड़ भी नहीं पा रही थीं, लेकिन धुन की पक्की सीमा ने अभ्यास में जरा भी कोताही नहीं बरती और 15 दिन के भीतर ट्रैक पर उतरकर 2000 मीटर दौड़ में सोने का तमगा जीत लिया।

अब अगला लक्ष्य एशियाई खेल

सीमा ने बताया कि अब लक्ष्य चीन के ग्वांगझू में अगले साल होने वाले एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक जीतना है। यह आयोजन वर्ष के सितंबर में होगा। इसके लिए ट्रायल अप्रैल में शुरू हो जाएंगे। इसलिए अभी घर न जाकर तैयारी कर रही हूं। युवा एथलीट कहती हैं कि इन खेलों में पदक जीतना बेशक बड़ी चुनौती है लेकिन राष्ट्रीय खेलों में सफलता हासिल कर आत्मविश्वास में इजाफा हुआ है और भोपाल में सेंटर आफ एक्सीलेंस में विश्वस्तरीय कोच हमें प्रशिक्षण दे रहे हैं।

राष्ट्रीय स्तर पर सीमा का प्रदर्शन :

1 – राष्ट्रीय खेलों में 10 हज़ार मीटर में स्वर्ण पदक और पांच हज़ार मीटर में रजत पदक

2 – रांची में जूनियर नेशनल एथलेटिक्स चैंपियनशिप-2015 में स्वर्ण पदक

3 – जूनियर नेशनल एथलेटिक्स चैंपियनशिप-2016 में 2000 मीटर में राष्ट्रीय रिकार्ड

4 – हैदराबाद में आयोजित यूथ नेशनल एथलेटिक्स चैंपियनशिप-2017 में 3000 मीटर में राष्ट्रीय रिकार्ड

5 – 33वीं जूनियर नेशनल एथलेटिक्स मीट-2017 विजयवाड़ा में 3000 मीटर में राष्ट्रीय रिकार्ड

6 – खेलो इंडिया स्कूल गेम्स दिल्ली में 3000 हज़ार मीटर में स्वर्ण पदक

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर :

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर यूथ एशियन एथलेटिक्स चैंपियनशिप-2017 में कांस्य पदक

यूथ एशियन ओलंपिक क्वालिफाई गेम्स-2018 बैंकाक में रजत पदक
चम्बा ब्यूरो। 

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