खास खबर: अंबाला व चंडीगढ़ रेलवे स्टेशन बनेंगे वर्ल्ड क्लास स्टेशन

अखिलेश बंसल। बरनाला

अंबाला व चंडीगढ़ रेलवे स्टेशन वर्ल्ड क्लास स्टेशन बनेंगे, दिल्ली-अंबाला-अमृतसर व चंडीगढ़ टै्रक पर 130 किलाेमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से रेल गाडियां दौड़ेगी, आरबीआर सेक्शन पर दोहरीकरण का कार्य पूरा होते ही अंबाला-पटियाला-धूरी-बरनाला-बठिंडा ट्रैक पर कई नई रेल गाड़ियों की सौगात मिलेगी। बठिंडा-राजपुरा-बठिंडा (आर.बी.आर) सैक्शन पर विद्युतीकरण का कार्य पूरा हो चुका है, जबकि दोहरीकरण का कार्य तेजी से चल रहा है।

यह जानकारी डीआरएम अंबाला मंडल (उत्तर रेलवे) गुरिंदरमोहन सिंह ने कोविड-19 के मद्देनजर वैब प्रैस कान्फ्रेंस के जरिए दी है, जिसमें बरनाला के विजय भंडारी सहित अंबाला मंडल से संबंधित कई समाचार पत्रों के प्रतिनिधि शामिल हुए। इस अवसर पर एडीआरएम अंबाला दीपक कुमार, वरिष्ठ मंडल वाणिज्य प्रबंधक अंबाला हरि मोहन के अतिरिक्त कई वरिष्ठ रेल अधिकारी शामिल थे।

राजपुरा से बठिंडा रेलवे ट्रैक पर तीन चरण में हो रहा काम
आरबीआर सैक्शन के दोहरीकरण 172 किलाेमीटर का प्रोजेक्ट है, जिसके लिए 1770 करोड़ रुपए आवंटित किए गए है। जिसमें अभी तक 385 करोड़ रुपए का काम पूरा हो चुका है। इस काम के लिए राजपुरा, धूरी, बठिंडा स्टेशनों से तीन चरणों से काम किया जा रहा है। पहले 72 किलाेमीटर ट्रैक तैयार होगा, फिर 100 किलाेमीटर बाद में होगा। दोहरीकरण का कार्य पूरा होते ही आरबीआर सैक्शन पर कई नई मेल एक्सप्रेस गाडियां, डीएमयू, एमएमयू चलेंगी, जिससे यात्रियों की वर्षों लंबित मांग पूरी होगी और बड़ी राहत मिलेगी।

अंबाला व चंडीगढ़ रेलवे स्टेशन वर्ल्ड क्लास
अंबाला और चंडीगढ़ के रेलवे स्टेशनों को विश्व स्तरीय बनाने की योजना है। जहां यात्रियों के लिए हर किस्म की सुविधा उपलब्ध होगी। सभी रेलवे स्टेशनों पर सीसीसीटी कैमरे लगेंगे, जिन गाड़ियों की अभी तक 110 किलाेमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से चल रही है, उनमें 20 किलाेमीटर प्रति घंटा की वृद्धि की जा रही है। उसके बाद गाड़ियाें 130 किलाेमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से दौड़ सकेंगी और लोगों का समय बड़े स्तर पर बच सकेगा। यद्यपि पंजाब की सरहद फाजिल्का से दिल्ली तक जाने की बात करें, तो जो सफर 12 घंटे का था, वह कम होकर 9-10 घंटे का रह जाएगा। किसी यात्री रेल गाड़ी को कहीं भी क्रॉसिंग होने का इंतजार भी नहीं करना पड़ेगा। मतलब, खुद की कार के सफर से भी कम।

अंबाला रेलवे डिवीजन का बताया इतिहास
अंबाला रेलवे मंडल 15 अगस्त 1988 को अपने अस्तित्व में आया। यह मंडल भुगौलिक दृष्टि से 6 विभिन्न राज्यों से जुड़ा है, जिसके चलते सभी प्रकार के रेल यात्रियों की अपेक्षाओं पर खरा उतरा है। पिछले 4-5 महीनों से कोविड- 19 महामारी से जूझ रहे रेलवे ने माल ढुआई, पार्सल आदि में अभूतपूर्व रिकार्ड बना कर बेहतरीन आय जुटाई है, जिसमें 69 प्रतिशत खाद्यान्न के जरिए, 25 प्रतिशत पार्सल से और बाकी यात्रियों द्वारा प्राप्ति हुई है। इसके सहित रेलवे को जुलाई-2020 तक 1600 करोड़ रुपए तक की प्राप्ति हुई है।

रेलवे यात्रा को सर्वगुण संपन्न बनाने का लक्ष्य
गौरतलब हो कि पिछले 6 वर्षों में भारतीय रेलवे में हैरान करने वाले क्रांतिकारी बदलाव हुए हैं, जिनके चलते महत्वपूर्ण रेल परियोजनाएं शुरू हो सकी हैं, अब रेलवे की दशा और दिशा सुधारने की कोशिश की जा रही है, ताकि भविष्य में लोगों को सर्वगुण संपन्न रेलवे यात्रा का अनुभव मिल सके।