जनजातीय गौरव दिवस के उपलक्ष्य पर संस्कृति कार्यक्रम का आयोजन

विद्यार्थी परिषद ने विश्वविद्यालय में विरसा मुंडाजी की याद किया कार्यक्रम

उज्जवल हिमाचल ब्यूराे। शिमला

विद्यार्थी परिषद हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय इकाई ने विरसा मुंडा जी को याद करते हुए मंगलवार काे जनजातीय गौरव दिवस के उपलक्ष्य पर संस्कृति कार्यक्रम उलगुलान का आयोजन किया गया है। कार्यक्रम अतिथियों ने द्वीप प्रज्वलन कर कार्यक्रम कार्यक्रम का शुभारंभ किया। स्वागत भाषण में इकाई अध्यक्ष ने सभी छात्रों अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि प्रदेश विश्वविद्यालय में लगभग दो वर्ष के बाद इस तरह का सांस्कृतिक कार्यक्रम हो रहा है। उन्होंने कहा कि आज के कार्यक्रम में हिमाचल प्रदेश कि जनजातीय संस्कृति को हम सभी के बीच में लाना ही कार्यक्रम का उद्देश्य है यह सही रूप में भगवान विरसा मुंडाजी को श्रद्धांजलि होगी। कार्यक्रम अध्यक्ष जनक राम ने अपने उद्बोधन में कहा कि हिमाचल प्रदेश के भिन्न-भिन्न जनजातीय समुदाय रहते हैं, इनका भारत के इतिहास में अहम भूमिका है। कार्यक्रम में विशेष उपस्थिति में गेशे थुप्तन ज्ञलछन नेगी ( रिनपोछे) ने कहा कि पूरे भारत के लोगों के पूर्वज एक ही है।

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भारत के सभी जनजातीय समुदायों के पूर्वज एक ही है। हमें अलग न होकर अपने इतिहास को समझ कर बिना भेदभाव के एकता के सूत्र में बंधना चाहिए। उन्होंने कहा कि आज का समाजिक प्राणी सच्चाई को भूल कर भौतिकता की चपेट में आ गया है और लगातार दुःख सह रहा है। कार्यक्रम विशिष्ठ अतिथि। डॉ सुरेंद्र शर्मा ने अपने वक्तव्य में कहा कि विद्यार्थी परिषद चिर काल से ही जनजातीय समाज को साथ लेकर चलने में विश्वास रखती है, लेकिन दुर्भाग्य वंश कुछ ताकते ऐसी भी हैं, जो जनजातियों को वेवस, लाचार, गरीब पिछड़ा बताने का प्रयत्न किया जाता है और जनजाति समुदायों को भटकाने का प्रयास किया जाता है। उन्होंने केंद्र सरकार का धन्यवाद करते हुए कहा कि आजादी के लगभग 75 वर्षाें के बाद किसी जनजातीय स्वतंत्रता सेनानी को वास्तव में समान मिला है।

उन्होंने कहा कि हमें जड़ों से जुड़े रहना चाहिए, जनजातीय लोग सीधे साधे ईमानदार और शौर्यवान होते है, लेकिन अगर कोई ईमानदारी का गलत फायदा उठाने की कोशिश करता है, तो विरसा मुंडा जैसे शौर्यवान भी होते है। मुख्यातिथि प्रोफेसर चंद्र मोहन परशिरा ने कहा कि अंग्रेजों ने भारतीयों के साथ अत्याचार किया और अनेक षड्यंत्रों की सहायता से भारतीय वास्तविकता को खतम करने की कोशिश की उन्होंने ईसाई मिशनरियों का प्रयोग के छोटा नागपुर में मुंडाओं को यह बता कर भटकना शुरू कर दिया था कि अगर आप ईसाइयत स्वीकार कर लें, तो आपको जंगल, और आपके अधिकारों को पूरा किया जाएगा।

मुंडाजी ने आदिवासियों को वापस अपने मूल धर्म में परिवर्तित कर दिया। बालक विरसा मुंडा ने अपने देवी-देवताओं, परंपरा, पर आघात देख कर अंग्रेजो के विपक्ष आदिवासी सशक्त क्रांति उलगुलान की शुरुआत की। उन्होंने युवाओं को ऐसे सेनानियों को पढ़ने को कहा। धन्यवाद भाषण में इकाई मंत्री आकाश नेगी ने कार्यक्रम के सफल आयोजन हेतु सभी अतिथियों, छात्रों का धन्यवाद किया उन्होंने कहा कि विरसा मुंडाजी को समझने के लिए हमें ये सोचना चाहिए कि मात्र 25 वर्ष में विरसा मुंडा जी भगवान विरसा मुंडा कहलाने लगते हैं। विरसा मुंडाजी वास्तव में भारत और जनजातीय समुदाय का गौरव है।