अखिलेश बंसल। बरनाला
प्रदेश के मुख्य-मंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह की ओर से 18 मई से कर्फ्यु खत्म करने का ऐलान करने के बाद सोमवार की सुबह बाजारों में उतरे लोगों और व्यापारियों के चेहरों पर रौणक तो देखने को मिली, लेकिन देश के अंदर कोरोना पॉजिटिव का आंकड़ा 96 हजार से पार होने, अब तक 3049 मौतें होने और गुजरे 24 घंटे के दौरान 5 हजार नए केस आने के बावजूद लोगों ने सबक नहीं लिया। बाजारों में उतरे लोगों ने लौकडाउन के मुख्य तीन नियम (एस.एम.एस.) की पालना नहीं की। बताने योग्य है कि पंजाब प्रदेश सरकार के आदेश पर कर्फ्यु खत्म हुआ है ना कि कोरोना। क्यूंकि लॉकडाउन अभी जारी है। जिसको जारी रखने के लिए पंजाब में तारीख बढ़ाकर 31 मई 2020 तक कर दी गई है। जिसके अंर्तगत स्कूल व कालेज सहित सभी शैक्षणिक संस्थान बंद रखने, होटल व रेस्टोरेंट, हजामत व सैलून की दुकाने, सिनेमा हाल व मॉल्ज बंद रखने, राजनैतिक, धार्मिक, सत्संग, खेल, सांस्कृतिक कार्यक्रम बंद रखने के आदेश हैं।
आर्थिक स्थिती के मद्देनजर लौटी खोले गए बाजार
वैश्विक कोरोना वायरस महामारी (कोविड-19) से बचाव के लिए देशभर में पहले लॉकडाउन और उसके अगले दिन कर्फ्यु लगाना पड़ा था। शुरुआत में लोगों को 21 दिनों के लिए घरों के अंदर रहने को कहा गया, जिन्होंने सरकार की हर तरह की हिदायतों की पालना भी बाखूबी की। हालांकि प्रशासन की ओर से व्यापारियों को सख्त आदेश जारी किए थे कि कोई भी दुकानदार जरूरी वस्तुओं की कालाबाजारी नहीं करेगा। जिसको लेकर जिला प्रशासन की तरफ से कुछ जगह पर केस भी दर्ज किए गए। उसके बावजूद दवा, किराना दुकानदारों और फल-सब्जी विक्रेताओं ने जरूरी वस्तुओं में शामिल (दवाएं,सैनेटाईजर,मास्क और दालें, फल-सब्जियों) की मनमर्जी की कीमतें वसूलते कालाबाजारी को अंजाम दिया। आलम यह रहा कि लोगों को मजबूरीवश इन वस्तुओं की खरीददारी ज्यादा कीमत अदा कर करनी पड़ी। करीब दो महीने चले कफर््यू के दौरान सभी कारोबार बर्बाद होने की कगार पर पहुंच गए, जिससे सरकार को भी रेवेन्यू आना बंद हो गया। लोगों की जरूरतें पूरी नहीं कर सकने एवं सरकारी खजाने की आर्थिक स्थिति डावांडोल होती देख मजबूरी के चलते सूबा सरकार को कर्फ्यु खत्म करने का फैसला लेना पड़ा।
बाजार खुले, एस.एम.एस नजरअन्दाज
पंजाब सरकार की ओर से बाजार खोलने के लिए फैसले के बाद बाजार तो खुल गए, लेकिन 58 दिनों बाद बाजारों में उतरे लोगों ने शोशल डिस्टैंसिंग, मास्क और सैनेटाईजर (एसएमएस नियम) को नजरअंदाज रखा। बताने योग्य है कि देश के अंदर गत 24 घंटे के दौरान 5 हजार नये केस दाखिल होने से कोरोना वायरस पॉजिटिव की संख्या 96169 हो चुकी है। अब तक 3049 मौतें हो चुकी हैं, रिकवरी सिर्फ 36 हजार मरीजों की हुई है, जबकि 56316 अभी भी कोरोना पीडित हैं।
कोरोना ने मंत्रियों-अधिकारियों के बीच पैदा की खट्टास
कहते हैं पैसा ही सबसे बड़ी फसाद की जड़ है। एक तरफ तो सरकारी तंत्र जमीनी स्तर पर लोगों की जरूरतें पूरी करने पर नाकाम साबित हो रहा था, दूसरी ओर मंत्रियों व वरिष्ठ अधिकारियों की खुद की जरूरतें पूरी होने पर लॉक लग गया था। जिसके चलते शराब के कारोबार को लेकर प्रदेश के मंत्रियों की सरकारी वरिष्ठ अधिकारियों के बीच बड़ा तनाव पैदा हुआ। नतीजा यह है कि यदि कोरोना महामारी के दाखिले ने लोगों को शारीरिक तौर पर ही परेशान नहीं किया, बल्कि राजसी लोगों की अपनी ही सरकार के दिग्गज अधिकारियों के बीच भी कड़वाहट पैदा कर डाली।
यह कहते हैं सेहत अधिकारी
डाक्टर मनप्रीत सिंह सिद्धू का कहना है कि भले ही पंजाब प्रदेश के अंदर दूसरे राज्यों के मुकाबले कोरोना पीडितों की संख्या तकरीबन खत्म होने की स्टेज पर है, परन्तु फिर भी कोरोना का खतरा बरकरार है। यदि लोगों ने शोशल डिस्टैंसिंग, मास्क और सैनेटाईजर (एसएमएस) नजरअंदाज किया तो यह बीमारी कभी भी भयानक रूप धारण कर सकती है।
यह कहते हैं अधिकारी
एडिश्नल डिस्ट्रिक कमिश्नर (जनवा) मैडम रूही दुग्ग का कहना है कि कोरोना महामारी से बचाव के लिए जिला प्रशासन की ओर से शोशल डिस्टैंसिंग, मास्क और सैनेटाईजर की हिदायतों का पालन करने के जारी निर्देश पहले की तरह रहेंगे। जैसे पिछले 58 दिनों में लॉकडाउन व कर्फ्यु के दौरान लोगों को जागरूक किया जा रहा था, प्रशासन की तरफ से जागरूकता मुहिम आगे भी जारी रहेगी। समय-समय पर बाजारों में सर्वे भी किया जाएगा। जिस किसी जगह पर नियमों का उल्लंघना करने का मामला ध्यान में आया तो कार्यवाही की जाएगी।