ज्वाली भाजपा की हार, भाजपा ही जिम्मेवार 

छिटभैया नेताओं ने पांच साल खाई मलाई, चुनावों में नैय्या डुबाई!

Defeat of Jwali BJP, only BJP is responsible

उज्जवल हिमाचल। ज्वाली

भले ही ज्वाली में भाजपा की हार हुई लेकिन इस हार के पीछे भाजपा का भीतरघात ही जिम्मेवार है । ज्वाली में 35000 का आंकड़ा पार करने में भाजपा प्रत्याशी संजय गुलेरियाकी अपनी खुद की छवि और मेहनत रंग लाई है । पार्टी की तरफ से संगठन के पदाधिकारियों ने भाजपा प्रत्याशी को जीतने में जरा भी दिलचस्वी नही दिखाई। कोई रणनीति नहीं। यह शब्द पूर्व ब्लॉक चेयरमैन बलवीर सिंह पठानियां ने प्रेस वार्ता में कहे। उन्होंने कहा कि इस चुनाव में वही वाक्य लागू हुआ कि ” हमें अपनों ने लुटा गैरों में कहां दम था मेरी किस्ती वहां डूबी जहां पानी कम था”।
भाजपा प्रत्याशी संजय गुलेरिया को कांग्रेस ने नहीं हराया बल्कि भाजपा के आला नेता व उसके सहयोगियों का कारनामा देखने को मिला । चाहे हराने वाले कोटला बेल्ट से हो या नगरोटा सूरियां बेल्ट से या फिर ज्वाली बेल्ट से । सभी ने संजय गुलेरिया को हराने में अपनी भूमिका अदा की । लेकिन शायद यह पार्टी विरोधी दलाल भूल गए है कि भाजपा प्रत्याशी संजय गुलेरिया को नहीं हराया बल्कि अपने रास्ते पर कांटे बिखेरे है ।
ज्वाली के पूर्व विधायक अर्जुन सिंह ने पार्टी की टिकट न मिलने की सूरत में पार्टी विरोधी खूब डांस किया । कई लोगों को कांग्रेस ज्वाइन करवाई । कई जगहों पर पार्टी के प्रत्याशी विरुद्ध प्रचार किया । विधायक अर्जुन सिंह का योगी के कार्यक्रम में आना केवल एक नाटक था । वहां पर भी ठाकुर अर्जुन सिंह ने एक बार भी भाजपा प्रत्याशी संजय गुलेरिया के पक्ष में वोट नहीं मांगे ।

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ध्यान रहे की विधायक अर्जुन सिंह व इसके कुछ छुटभैया नेताओं ने पहली बार भाजपा को वोट 2012 में डाला था जब इसने खुद चुनाव लडा था । इसके पीछे का इतिहास दिन को भाजपा और रात को कांग्रेस के अखाड़े में व्यतीत करते थे । तभी डाक्टर राजन सुशांत ने इनका नाम काली भेड़े डाला था । बता दे कि कोटला बेल्ट से इतिहास रहा है कि कोटला बेल्ट से हमेशा चार पांच हजार की बढ़त रहती थी जोकि इस बार 1500 के आसपास ही रही ।
जिसमें मंडल अध्यक्ष उत्तम धीमान कोटला से थे जबकि पूर्व मंत्री हरबंस राणा कोटला से, जिला अध्यक्ष रमेश राणा कोटला से और ओबीसी अध्यक्ष योगराज मेहरा कोटला से और युवा प्रदेश कार्यकारिणी सचिव विशाल चौहान भी कोटला से थे जो केवल योगी आदित्यनाथ के ज्वाली दौरे दौरान ही दिखाई दिए उसके बाद लापता रहे । केवल पूर्व मंत्री ही बुढ़ापे में लोगों से मिलते रहे जिस कारण थोड़ी बहुत ही बढ़त जुटा पाए ।
हैरानगी तो इस बात की है कि उपरोक्त पदाधिकारी बढ़त कर नहीं सके बल्कि अपनी पुरानी बढ़त को भी कायम नहीं कर सके । इससे साफ जाहिर होता है कि इनके मन में खोट रही होगी या फिर आगामी अपनी राह देख रहे होंगे लेकिन बुद्धिजीवी वर्ग का कहना है कि आप अगर किसी के लिए खाई खोदोगे तो दूसरा आप के लिए गड्ढा खोद सकता है ।इस मौके पर पूर्व किसान मोर्चा अध्यक्ष रविंद्र गुलेरिया, पूर्व मंडल अध्यक्ष एवम् तीन बार रहे पंचायत प्रधान कुलदीप सिंह मौजूद रहे।

संवाददाताः चैन सिंह गुलेरिया