निजी स्कूलों में वर्दी व किताबों की कीमतों में भारी बढ़ोतरी के खिलाफ शिक्षा विभाग से अंकुश लगाने की मांग

Demand to curb the education department against the huge increase in the prices of uniforms and books in private schools
निजी स्कूलों में वर्दी व किताबों की कीमतों में भारी बढ़ोतरी के खिलाफ शिक्षा विभाग से अंकुश लगाने की मांग

उज्जवल हिमाचल। शिमला
छात्र अभिभावक मंच हिमाचल प्रदेश ने निजी स्कूलों में वर्दी व किताबों की कीमतों में भारी बढ़ोतरी के खिलाफ प्रदेश सरकार व शिक्षा विभाग से अंकुश लगाने की मांग की है। मंच ने इसे सीधे तौर पर मनमानी लूट व कमीशनखोरी करार दिया है। मंच ने इस कमीशनखोरी के खिलाफ आंदोलन को चेताया है।

मंच के संयोजक विजेंद्र मेहरा व सह संयोजक विवेक कश्यप ने वर्ष 2023 में ड्रेस व किताबों की कीमतों में 25 प्रतिशत तक की वृद्धि पर कड़ा आक्रोश ज़ाहिर किया है व इसे शिक्षा विभाग व प्रदेश सरकार की नाकामी करार दिया है।

उन्होंने इस बढ़ोतरी को संविधान के अनुच्छेद 21, शिक्षा का अधिकार कानून 2009 व हिमाचल प्रदेश निजी शिक्षण संस्थान अधिनियम, 1997 के अन्तर्गत निर्मित नियम 2003 का खुला उल्लंघन करार दिया है।

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यह छात्रों व अभिभावकों की जेबों पर डाका डालने का कार्य है। यह मनमानी लूट व मुनाफाखोरी है। बड़े निजी स्कूलों में एक वर्ष में निजी स्कूल प्रबंधन 18 से 30 लाख रुपये तक की कमीशनखोरी करते हैं। प्रत्येक छात्र की हज़ारों रुपये की किताबों व वर्दी में मिलने वाली छूट से अभिभावकों को वंचित करके यह राशि निजी स्कूल प्रबंधनों को कमीशन के रूप में दी जाती है।

यह गोरखधंधा सरेआम चलता है। यह एनसीईआरटी, एससीईआरटी, सीबीएसई व एमएचआरडी गाइडलाइनज़ का उल्लंघन है। अभिभावकों से निजी स्कूल प्रबंधन सीधी लूट कर रहे हैं परन्तु शिक्षा विभाग व प्रदेश सरकार मौन हैं। निजी स्कूलों की लूट पर इन दोनों की मूक सहमति है।

जिससे जनता में यह संदेश जा रहा है कि ये दोनों भी इस खुली लूटपाट व मुनाफ़ाखोरी का हिस्सा हैं। उन्होंने छात्रों व अभिभावकों की इस लूट को रोकने के लिए सरकार से कानून व रेगुलेटरी कमीशन बनाने की मांग की है ताकि कमीशन खोरी पर रोक लगे।

संवाददाताः ब्यूरो शिमला

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