5 फुट बर्फ में 160 किलोमीटर पैदल चलकर देवलूओं संग मंडी पहुंचते हैं देव खुड्डीजल

9 जगहों पर ठहराव कर श्रद्धालुओं को दर्शन देने पहुंचते हैं मंडी शिवरात्रि महोत्सव

उज्जवल हिमाचल। मंडी

देवभूमि हिमाचल का मंडी जिला अपनी देव संस्कृति को लेकर विश्वविख्यात है। रियासतकाल से मंडी शहर में मनाए जाने वाला अंतरराष्ट्रीय शिवरात्रि महोत्सव प्रदेश का एक प्रमुख देव समागम है। इस मेले में सैकड़ों किलोमीटर का सफर पैदल तय कर कुछ देवी-देवता देवलूओं सहित शिरकत करने मंडी पहुंचते हैं। ऐसे ही जिला के सराज क्षेत्र के दुर्गम क्षेत्र बहली के खुडीगाड़ के एक प्रसिद्ध देव खुड्डीजल भी है।

देव खुड्डीजल अपने देवलूओं संग 4 से 5 फीट बर्फीले रास्तों को पार कर 160 किलोमीटर दूर पैदल चलकर मंडी शिवरात्रि में पहुंचते है। मंडी शिवरात्रि आते समय देवता के पुराणिक स्थान अपनी बहली कोठी से शिवरात्रि मेला में शामिल होने के लिए 9 स्थानों में ठहराव करते है। इसमें धनौट, बगडागढ़, नदौन, भुलाड, कांडा, राजगढ, सकरोहा और बैहना हैं। मान्यतानुसार देव खुड्डीजल राजाओं के समय से ही इन स्थानों पर ठहराव कर मंडी शिवरात्रि में पहुंचते है।

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देवता के कारदार गंगा राम ने बताया कि मान्यता है कि देवता का जल अगर किसी भी क्षेत्र में जमीन विवाद को लेकर एक बूंद भी गिर जाए, तो देवता के प्रकोप से उस भूमि पर कोई फसल नहीं उगती और भूस्खलन होने लगता है। इसका निवारण केवल देवता द्वारा ही किया जाता है, जिसे पानी इक्ट्ठा करना कहा जाता है, जिससे भूमि फिर से उपजाऊ हो जाती है। राजा और देवता की कथा में राजतंत्र के समय वर्ष 1790 में जब राजा द्वारा देवता का इतिहास देवता के गुर के माध्यम से जानना चाहा, तो देवता ने बताने से इंकार कर दिया।

इस पर राजा क्रोधित हो गए और राजा द्वारा गुर से प्रमाण मांगा। इस पर गुर ने राजा को कहा कि अभी मेरी गज मूल स्थान से निकल गई है और थुनाग स्थान में पहुंचे है। इस पर राजा ने कहा कि इसे मैं कैसे सच मानू, तो देवता ने गुर के माध्यम से कहा कि जब देवता राज दरबार में उपस्थित होगा, तब राजमहल का छत आधा बारिश से भीग जाएगा और आधा सूखा रहेगा। इससे समझ लेना कि यह देवता का चमत्कार है। इसके उपरांत ऐसा ही हुआ और राजा ने प्रसन्न होकर देवता के नाम 101 बीघा भूमि कर दी।

संवाददाताः उमेश भारद्वाज

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