फूलों की खेती कर अपनी आर्थिक सुदृढ़ कर रहे किसान

hamirpur

एसके शर्मा। हमीरपुर

हिमाचल पुष्प क्रांति योजना के तहत एकीकृत बागवानी मिशन की योजना किसानों के लिए बने वरदान कारनेशन के फूलों की खेती करके अपनी आर्थिकी कर रहे हैं। फूलों की खेती सुदृढ़ करने के लिए सरकार 85 प्रतिशत अनुदान देती है। जिसके चलते उपमंडल बड़सर के विकास खंड बिझड़ी की पंचायतों में काफी संख्या में किसान फूलों की खेती कर रहें हैं।

बताते चलें कि विकास खंड बिझडी की दलचेहडा पंचायत के लोग फूलों की खेती करके अपनी आजीविका को सुदृढ़ करने में लगे हुए हैं। इनके द्वारा ऐसे फूलों की खेती की जाती है, जिनके की देश के बड़े-बड़े बाजार और दिल्ली सहित लॉकडाउन के पहले काफी डिमांड थी। पहली बार फूलों की खेती करने पर सरकार देती है, 85 प्रतिशत अनुदान देती है। लेकिन अब लॉकडाउन के बाद इन किसानों को थोड़ी निराशा भी हाथ लगी है, क्योंकि जब पहले यह किसान तीसरे दिन ही 5 व 6 हजार के फूल हिमाचल पथ परिवहन निगम की बसों में दिल्ली भेजा करते थे। वहीं अब डिमांड न होने के चलते एक कार्नेस का फूल एक रुपए में भी नहीं बिक रहा है। हालांकि आगामी समय में अगर फिर से सही हालात या जिंदगी फिर पहले जैसे पटरी पर लौटती है, तो यह लोग फिर से अपने लिए घर बैठे ही रोजगार के लिए बेहतर विकल्प साबित कर सकते हैं।

दलचेहड़ा पंचायत के किसानों कृष्ण चंद, निक्का राम, सुरजीत सिंह, कुलदीप, करतार सिंह, चतर सिंह सहित अन्यों ने कहा कि कोरोना काल से पहले हमारे द्वारा उगाए जाने वाले फूलों की काफी डिमांड थी, लेकिन अब कोरोना काल में तो आमदन शून्य हो गई है। लेकिन अब जैसे-जैसे हालात सामान्य हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि अब फिर से वे बिलासपुर जिला के घाघस में ट्रांसपोर्ट में इन फूलों को बुक करवा रहे हैं, जोकि इसके बाद सोलन जाते हैं और वहां से डिमांड के हिसाब से दिल्ली ट्रांसफर किए जाते हैं। 20 फूलों की 1 पेटी पहले 200 रुपए में दी जाती थी, लेकिन अब थोड़े हालात तंग हो गए हैं।

वहीं नीक्का राम ने बताया कि अबकी बार दीक्षा पिलर के फूलों की खेती की है, जोकि आगे गुलदस्ता बनाने के काम आते हैं। पहले उन्होंने कारनेशन के फूलों की खेती की थी, लेकिन अब की बार दीक्षाफिलर नामक फूलों की खेती की है। अब अगर आगे से डिमांड अच्छी आती है तब तो ठीक है, लेकिन अगर बाजार में इनकी डिमांड नहीं होती है तो थोड़े हालात तंग रह सकते हैं। एक बात तो तय है कि इस क्षेत्र के इन किसानों ने रोजगार के लिए तो बेहतर विकल्प ढूंढा है। साथ में अपनी आय को भी स्टेबल किया है, क्योंकि आगामी समय में हालात ठीक ही हो जाएंगे और फिर से इनके द्वारा उगाए जाने वाले फूलों की डिमांड बढ़ेगी। जिससे कि यह लोग अपनी जिंदगी को बेहतर तरीके से जी सकेंगे।