वन विभाग ने बचाई दो नवजात नर भालुओं की जान

शैलेश शर्मा । चम्बा

हिमाचल प्रदेश के पर्यटन नगरी डलहौजी के साथ लगते रोहला गांव के एक घर के स्टोर में एक मादा भालू ने अपने दो नर बच्चों को जन्म दिया है। बताते चले कि काली मादा भालू ने अपने दोनों नवजात नर बच्चो को जन्म किसी जंगल में नहीं बल्कि इस मकान के समीप बने स्टोर में दिया था । और यह बात बहुत पुरानी नहीं है बल्कि इसी वर्ष 18 मार्च की है। गौरतलब है कि इस वर्ष ज्यादा बर्फ़बारी होने और उससे पड़ने वाली अत्यधिक ठंड का ही नतीजा रहा है कि इस सर्दी से अपने को और अपने होने वाले नवजात शिशु को बचाने इस काली मादा भालू ने जंगल के साथ लगते इस रिहासी मकान में बने शैड में इन दोनों बच्चों को जन्म दिया।

  • वन विभाग ने की दोनों भालू बच्चों की देखरेख

हलाँकि गांव के लोग इस बात से डरे हुए थे कि कहीं आक्रोश में आकर जंगली भालू देर सवेर किसी को अपना निशाना न बना डाले इसलिए इन लोगों ने तुरन्त इस घटना की सुचना वन विभाग डल्हौजी को दी। घटना की सूचना मिलने पर डीएफओ डलहौजी नितिन पाटिल की अगवाई में वन विभाग की टीम पशु चिकित्साधिकारी डा.नीतिका सहित मौके पर पहुंचकर नवजात भालू के बच्चों का चिकित्सीय परीक्षण किया गया। इस दौरान पाया गया कि इस स्थिति में बच्चों को अभी मां की जरूरत है। इसको देखते हुए वन विभाग इन दोनों भालू के बच्चों को उनकी देखरेख ठीक से हो अपने साथ ले गई। अब यह नवजात बच्चे तीन महीने के हो चुके है जिन्हे वन विभाग ने उसी जगह छोड़ा जहां इन बच्चो का जन्म हुआ था। ख़ुशी की बात तो यह देखने को मिली की दूसरे ही दिन मादा भालू अपने बच्चो को दूध पिलाने के बाद अपने साथ जंगल में ले गई।

  • मादा भालू अपने बच्चों को अपने कुदरती स्थान पर ले जाती

वन मडल अधिकारी ने बताया कि इसके लिए एक सर्वलेशन टीम का गठन किया है ताकि यह पता चल सके कि इन बच्चों की माँ कितने समय में आती है और उनको फीड बगेरा किस तरह से देती है और क्या यह मादा भालू अपने बच्चों को अपने कुदरती स्थान पर ले जाती है या नहीं इसका भी हमे सर्वेलेशन से पता चल जायेगा।

  • देखरेख के लिए इलेक्ट्रॉनिक मॉनिटरिंग का सहारा

इस बारे जब पशु चिकित्सक डॉ नीतिका से बात की गई तो उन्होंने बताया कि यह दोनों भालू के बच्चे नर ही है और इनकी कंडीशन ठीक है पर यह मात्र दो तीन दिन के ही है। और इनकी देखरेख के लिए इलेक्ट्रॉनिक मॉनिटरिंग का सहारा भी लिया जा रहा है। उन्होंने भी बताया कि अभी इन दोनों नर भालू के बच्चो को माता की जरूरत है जोकि इनकी देखभाल कर सके। उन्होंने भी बताया कि अभी इन दोनों को सर्वलेन्स में ही रखेंगे ताकि इनकी माँ इनको अपने साथ ले जाये यही उनके लिए अच्छा भी रहेगा। डॉ नीतिका ने बताया कि उनको डिस्कूलेट करना उनकी जीवन से खिलवाड़ करने से कम नहीं है इसलिए इन बच्चो को दो तीन दिन के लिए सर्वलेन्स के लिए रख रहे है यही इन दोनों के लिए अच्छा भी होगा।

  • दोनों भालू के बच्चो को उनकी बिछड़ी हुई माँ मिल गई

अपने दोनों बच्चो को दूध पिला रही यह वही काली मादा भालू है जोकि 18 मार्च को जो लोगों के डर के मारे अपने दोनों बच्चो को वंही छोड़कर चली गई थी। हलांकि यह बहुत कम देखने को मिलता है कि कोई जंगली जानवर अपने बच्चों को छोड़ दे और फिर से लेने आये पर वन विभाग की कठिन मेहनत का ही नतीजा है कि इन दोनों भालू के बच्चो को उनकी बिछड़ी हुई माँ मिल गई। इस बारे डीएफओ वाइल्ड लाइफ डल्हौजी ने बताया कि 18 मार्च को हमे सुचना मिली थी कि काली मादा भालू ने अपने दो बच्चों को जन्म दिया है ,जिसके तुरंत बाद हमारी टीम उस गांव में पहुंची और एक मॉनिटरिंग टीम का गठन किया गया और उस टीम ने लगातार 60,दिनों तक उस ब्लैक बियर और उसके बच्चों को मॉनिटर कर दिया,जिसमे कि कैमरा ट्रैपिंग के साथ वॉकी टोकि का भी सहयोग लिया गया और उनके कुदरती वातावरण में भी रखा गया। डीएफओ वाइल्ड लाइफ डल्हौजी ने रवेला के रहने वाले ग्रामीणों से अपील करते हुए बताया कि

कुछ दिनों तक कुछ एरिये में कम ही जाये और जाये भी तो समूह में इकठे होकर जाये ताकि किसी ग्रामीण को यह जंगली मादा भालू किसी तरह की कोई हानि न पहुंचा सके।