ज्वालीः ज्वाली का मिनी सचिवालय करोड़ों रुपए से बनने वाला आज सफेद हाथी बनकर रह गया है और साथ में अब ये भयानक बीमारी का अड्डा भी बन चुका है। ज्वाली के मिनी सचिवालय के शौचालय में इतनी गंदगी है कि किसी भी समय भयानक बीमारी के फैलने का भय बना हुआ है। काफी दिनों से मिनी सचिवालय के शौचालय की निकासी अवरुद्ध पड़ी हुई है लेकिन कोई भी इसकी सुध नहीं ले रहा।
मिनी सचिवालय में फैली हुई बदबू से दिन में तो रोजमर्रा के कार्यों को करवाने वाले व्यक्ति और स्थाई स्टाफ परेशान होता ही है लेकिन ईवीएम की रखवाली करने वाले पुलिस व अन्य बलों के कर्मचारी दिन रात इस बदबू से लड़ रहे है।
बता दें कि इस मिनी सचिवालय के अंदर तीन उच्च अधिकारी अपनी सेवाएं दे रहे है लेकिन ऐसा महसूस होता है कि या तो अधिकारियों के नाक बंद है या फिर मास्क लगा कर अपना समय व्यतीत कर रहे है । कोई भी अधिकारी इस कार्य को करवाने की जहमत नहीं कर रहा ।
केंद्र सरकार और हिमाचल सरकार द्वारा करोड़ों रुपए स्वच्छता के उपर खर्च किए जाते है लेकिन न जाने की किस गट्टर में चले जाते है । स्वच्छता के उपर खर्च होने वाले पैसे की कोई भी पैरवी न करने से हिमाचल सरकार भी उतनी ही जिम्मेवार है जितना कि मिनी सचिवालय में ड्यूटी दे रहे अधिकारी।
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ज्ञात रहे कि अगर इस शौचालय को केवल रोजमर्रा के कामों को करवाने वाली जनता और स्टाफ प्रयोग करता है अगर अधिकारीगण भी इसी शौचालय को प्रयोग करते होते तो शौचालय में जरूर सफाई नाम की चीज रहती । क्योंकि अधिकारियों के डर से कोई भी गंदगी फैलने की जहमत न करता और न ही कभी ब्लॉकिंग नजर आती। अधिकारियों के अलग शौचालय होने कारण ही सार्वजनिक शौचालयों की यह दुर्दशा बनी हुई है ।
ज्वाली का सफाई विभाग राम भरोसे चल रहा है। बुद्धिजीवी वर्ग ने सरकार व सफाई विभाग को चेतावनी देते हुए कहा कि अगर समय रहते इस गंदगी को न हटाया गया तो भयानक बीमारी को फैलने से कोई भी नहीं रोक सकता। अगर ऐसा हुआ तो इसकी सारी जिम्मेवारी मिनी सचिवालय में तैनात उच्च अधिकारियों की होगी।
इस संदर्भ के बारे में जब एसडीएम ज्वाली महेंद्र प्रताप सिंह से बात हुई तो उन्होंने कहा कि सुप्रीटेंडेंट से बात करो। और जब सुप्रीटेंडेंट से बात की तो वह भी कोई भी जवाब देने से इंकार कर गए।