तकनीकी शिक्षा विभाग के कर्मचारियों को फिर भूली सरकार

उज्जवल हिमाचल ब्यूराे। शिमला

2 मई को हुई कैबिनेट मीटिंग (Cabinet Meeting) से अनुबंध की आस लगाए बैठे तकनीकी शिक्षा विभाग की कर्मियों को एक बार फिर मायूसी ही हाथ लगी। 18 अप्रैल को हुए कैबिनेट मीटिंग में जहां सरकार ने अनुबंध के 3 वर्ष कार्यकाल पूरा कर चुके कर्मचारियों और दैनिक वेतन भोगी, कंटीजेन्ट पेड एम्प्लाई को नियमित किया।

वहीं, 2 मई की कैबिनेट मीटिंग में अंशकालीन चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों को भी दैनिक वेतन भोगी के रूप में परिवर्तित करने की स्वीकृति प्रदान कर दी, परंतु नवंबर-दिसंबर, 2019 से अनुबंध में आने की राह देख रहे तकनीकी शिक्षा विभाग में कार्यरत एसडब्ल्यूएफ (हावर्ली बेसिस/फुल टाइम), आईएमसी (SWF/IMC) कर्मियों के पक्ष में कोई फैसला नहीं लिया गया, जिस कारण यह कर्मियों तकनीकी शिक्षा विभाग व सरकार से काफी आहत हैं ओर आज भी अनुबंध में लेने की सरकार से अपील कर रहे हैं। गौरतलब है कि कोरोना संकट के बीच जहां सरकार इस बीमारी की रोकथाम कर रही है तथा इसके साथ-साथ सभी वर्ग, चाहे वो सरकारी कर्मचारी हो या बेरोजगार सबका ध्यान रख रही है।

वहां तकनीकी शिक्षा विभाग में कार्यरत यह कर्मचारी सरकार से कैसे छूट रहे समझ नहीं आ रहा है। कोरोना संकट का दंश झेल रहे यह कर्मी सरकार से अभी भी उम्मीद लगाए बैठे हैं। इनमें से कुछ ऐसे कर्मी भी हैं, जिन्होंने नवंबर-दिसंबर,2019 में पॉलिसी के रूल के अनुसार 9600 घंटे/7 वर का कार्यकाल पूरा कर लिया है। तकनीकी शिक्षा विभाग में कार्यरत यह कर्मचारी कोरोना अमरजेंसी के कारण प्रदेश में चल रहे लाॅकडाउन में भी अपनी सेवाएं दे रहे हैं।

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यह कर्मी घर से ही व्हाट्सएप व यूट्यूब के माध्यम से ऑनलाइन स्टडी करवा कर सरकार के आदेशों का पालन कर रहे हैं, जिसका सारा रिकॉर्ड प्रतिदिन निर्देशालय तकनीकी शिक्षा विभाग सुंदरनगर को भेजा जा रहा है। फिक्स सैलरी होने के कारण यह कर्मचारी कोरोना संकट में अपने परिवार का पालन पोषण मुश्किल से कर रहे हैं। विभिन्न औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों में अपने सेवाएं दे रहे ट्रेनर 31 मार्च, 2020 तक अनुबंध में आने पर राह देख रहे थे, परंतु देश में कोरोना अमरजेंसी के कारण इनकी सारी खुशियां मिट्टी हो गई और आज दिन तक इनके अनुबंध में लेने की कोई प्रक्रिया विभाग द्वारा नहीं की गई, जिस कारण जहां इनको वित्तीय नुकसान हो रहा है।

वहीं, इनके भविष्य की सीनियोरिटी पर भी सवाल खड़ा हो गया है। प्रदेश सरकार द्वारा 18 अप्रैल को अनुबंध कर्मियों को नियमित किए जाने से इन तकनीकी शिक्षा कर्मियों को भी अनुबंध में आने की आस जगी, परंतु दो बार कैबिनेट मीटिंग हो जाने पर भी इन्हें अनुबंध की प्रक्रिया में लेने का कोई निर्णय नहीं लिए गया, जिससे इनके चेहरे पर मायूसी साफ देखी जा सकती है।

प्रदेश में स्किल इंडिया के तहत युवाओं का भविष्य संवारने वाले इन तकनीकी शिक्षा विभाग की कर्मियों का भविष्य खुद दांव पर लग गया है, जबकि एसडब्ल्यूएफ/आईएमसी के तहत कार्यरत इन कर्मचारियों का सारा रिकार्ड संबंधित आईटीआई से निदेशालय तकनीकी शिक्षा सुंदरनगर भी पहुंच गया है, परंतु अभी तक इन कर्मचारियों को अनुबंध में लाने की प्रक्रिया नहीं की गई।

उन्होंने प्रदेश सरकार से यह अपील की है कि जिस प्रकार 30 मार्च 2020 तक तीन वर्ष पूरा कर चुके कर्मचारियों को नियमित किया गया है। इसी आधार पर 30 मार्च, 2020 से पहले अनुबंध में आने के लिए अपना कार्यकाल पूरा कर चुके विभिन्न औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों में अपनी सेवाएं दे रहे एसडब्ल्यूएफ/आईएमसी (SWF/IMC) कर्मचारियों के बारे में सारात्मक सोच रखते हुए उन्हें अनुबंध में लें।