सरकार कर रही संविधान की धारा 309 का उल्लंघन : घई

उज्जवल हिमाचल। कांगड़ा

हिमाचल प्रदेश बेरोजगार शारीरिक शिक्षक संघ के प्रदेश उपाध्यक्ष संदीप घई की अध्यक्षता में समस्त राज्य कार्यकारिणी सदस्यों से ऑनलाइन प्रक्रिया के माध्यम से बेरोजगार शारीरिक शिक्षकों के भविष्य व वर्तमान परिस्थितियों से जुड़ी हर गतिविधियों पर चर्चा हुई घई ने कहा कि सरकार संविधान की धारा 309 का उल्लंघन कर रही हैं, जिसके अनुसार प्रदेश व देश के सभी पात्र उम्मीदवारों को समान अवसर मिलना चाहिए। इसी बात का ध्यान रखते हुए सरकार ने नियमित शिक्षकों की भर्ती के लिए भर्ती नियम बनाए भर्ती नियमों के अनुसार नियमित शिक्षकों की भर्ती या तो कमीशन से हो सकती है या बैच वाइज के माध्यम से हो सकती है।

एक सरकार ने हजारों की संख्या में वर्ष 2001-02 के दौरान बिना कमीशन बिना बैच वाइज ग्राम विद्या उपासक रखें। दूसरी सरकार ने 2002-2007 तक सत्ता होगी, लेकिन नियमानुसार इनके स्थान पर एक भी नियमित शिक्षक कमीशन और बैच वाइज के माध्यम से नहीं भेजा गया, जबकि हजारों 1999-2002 बैच के प्रशिक्षित युवा वेरोजगार कार्यालय में पंजीकृत थे। बैचवाइज भर्ती रोजगार कार्यालय के माध्यम से होती है। सरकार यदि चाहती, तो इस काम को एक वर्ष के भीतर पूर्ण कर सकती थी, लेकिन सरकार ने जानबूझकर अपने दायित्व का निर्वाह नहीं किया।

ग्राम विद्या उपासकों के स्थान पर नियमित शिक्षक भेजना तो दूर खुद दूसरी सरकार ने दस हजार शिक्षक पीटी.ए पैट और पैरा के माध्यम से बिना कमीशन बिना बैचवाइज भर्ती कर ली। सरकार यदि चाहती तो 2001-2004 में रखे गए लगभग छह हजार ग्राम विद्या उपासक पैट पैरा शिक्षकों के स्थान पर कमीशन और बैच वाइज के माध्यम से नियमित शिक्षक 2007 तक भेज सकती थी, जिससे बेरोजगारो को इन भर्तियों में संविधान के अनुसार रोजगार के समान अवसर मिल जाते।

इस प्रकार सरकारों ने मिलकर बेरोजगारों के छह हजार शिक्षकों की भर्ती के संविधानिक हक छीन लिए भाजपा ने 2007 के चुनाव में कहा कि यदि वह सत्ता में आई, तो पीटीए, शिक्षकों को बाहर का रास्ता दिखाएगी, परंतु सत्ता में आने पर बाहर का रास्ता दिखाना, तो दूर खुद वर्ष 2012 में एसएमसी भर्ती वीना कमीशन बिना बैच बाईज शुरू कर दी। इस सरकार ने दो हजार सात से 2012 तक सत्ता भोगी, लेकिन अपने दायित्व का निर्वाह न करते हुए प्रदेश में कार्यरत 12013 अस्थायी शिक्षकों के स्थान पर कमीशन और बैच वाइज के माध्यम से नियमानुसार नियमित शिक्षक भर्ती नहीं की सरकार यदि चाहती, तो इस कार्य को 2010 तक पूरा कर सकती थी।

ऐसा न करने से बेरोजगारों को 12013 शिक्षकों की भर्तियों में संविधान के अनुसार रोजगार के समान अवसर नहीं मिले। इस प्रकार सभी सरकारों ने मिलकर 12013 शिक्षकों की भर्तियों में बेरोजगारों के संवैधानिक हक छीन लिए, जो 2020 में अस्थायी शिक्षकों के मामले में माननीय सुप्रीम कोर्ट की डिविजन बेंच का फैसला आया है। उसमें स्पष्ट है कि इन शिक्षकों की लंबी अवधि को ध्यान में रखते हुए शिक्षकों को राहत दी गई है। लंबी अवधि की सेवाओं के लिए सरकार दोषी है, जिसने समय पर अस्थायी शिक्षकों के स्थान पर नियमित शिक्षक नहीं भेजे और सारा ठीकरा निर्दोष बेरोजगारों के सिर पर फोड़ दिया। लंबी अवधि की सेवाओं के कारण बेरोजगारों के हक नहीं छीने जा सकते हैं।

इस बात का सरकार ध्यान में रखें घई ने कहा कि माननीय मुख्यमंत्री ने 7 अक्तूबर, 2018 को शारीरिक शिक्षकों के दो हजार पदों को भरने की घोषणा की थी, परंतु आज दिन तक शारीरिक शिक्षकों का एक भी पद नहीं भरा गया, जो बहुत दुखद बात है। घई ने कहा कि आज से छह वर्ष पहले बेरोजगार शारीरिक शिक्षक बैकलॉग का केस जीत चुके हैं, मगर आज दिन तक उसका भी एक भी पद नहीं भरा गया। बेरोजगार शारीरिक शिक्षकों ने सरकार से गुहार लगाई कि वह 2000 पदों को भरने की जल्द से जल्द प्रक्रिया शुरू करें। इस अवसर पर पीतांबर अनिल धीमान सुनील संजीव रशपाल विपिन राणा अनूप नरेशयस फॉर विपिन संदीप सैंकड़ाें सदस्य मौजूद रहे।