भारत सरकार का 2025 तक टीबी मुक्त देश का लक्ष्य

Government of India aims to make TB free country by 2025
देश में "प्रधानमंत्री टीबी मुक्त भारत अभियान" लांच
उज्जवल हिमाचल। कांगडा

सरकार ने देश से टीबी की बीमारी को हराने का संकल्प लिया है और 2025 तक देश को टीबी मुक्त करने का लक्ष्य रखा है। यह जानकारी मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉक्टर गुरुदर्शन गुप्ता ने आज गोद लिए 16 टीबी रोगियों के लिए पोषण फ़ूड बास्केट वितरित करते हुए दी। उन्होंने बताया कि हाल ही में देश में प्रधानमंत्री टीबी मुक्त भारत अभियान लांच किया गया है। इस अभियान को जन-आंदोलन बनाने का प्रयास किया जा रहा है। इसी कड़ी मे निक्षय मित्र योजना से टीबी के खिलाफ जनभागीदारी सुनिश्चित करके अहम भूमिका निभाई है ।

मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉक्टर गुरुदर्शन गुप्ता ने बताया कि टीबी रोग के उन्मूलन में सामान्य नागरिक, जनप्रतिनिधि, गैर सरकारी संस्थान, कॉर्पोरेट संस्थान अपनी मजबूत भागीदारी निभा सकते हैं। इसके लिए सरकार “निक्षय मित्र” बनने का मौका दे रही है। अभियान के तहत निक्षय मित्र बनने वाले व्यक्ति या संस्थान मरीजों को पोषण मदद कर उनसे सच्ची मित्रता निभा सकते हैं और निक्षय मित्र योजना की पूरी प्रक्रिया मरीज की इच्छा और उसकी सहमति पर आधारित है।

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इस अवसर पर डॉ आर के सूद जिला टीबी अधिकारी ने बताया कि जिला कांगड़ा में 1237 टीवी मरीजों ने अपनी सहमति दी है और और उनमें से 650 टीवी मरीजों को निक्षय मित्र के साथ लिंक कर दिया गया हैI उन्होंने निक्षय मित्रों के प्रयासों की सराहना की व सभी से अपील की है कि वह भी इस अभियान में आगे आए और निक्षय मित्र बनकर टीबी की रोगियों की मदद करें, ताकि हम जिला कांगड़ा को टीबी रोग मुक्त बना सके।

प्रधानमंत्री टीबी मुक्त भारत अभियान के अंतर्गत टीबी उन्मूलन के लिए निक्षय मित्र पोषण देकर, मरीजों का मनोबल बढ़ाने हेतु प्रयास करेंगे ताकि वे पूर्ण रूप से अपना दवाई का कोर्स पूरा कर सकें व रोग से छुटकारा पा सकें। इस मौके पर डॉ संदीप महाजन, डॉ बीके पाहवा, डॉ वीके महाजन, डॉ रवि गर्ग, कृष्णा औल, डॉ संगीत वर्मा, ब्लॉक मेडिकल अफसर डॉ संजय भारद्वाज, वरिष्ठ चिकित्सा अधिकारी डॉ विवेक करोल, अक्षय प्लस प्रोजेकट अधिकारी प्रवीण चौहान, राजीव मल्होत्रा, डॉ अंकुश कपूर, अभिनव शर्मा, ऋषि वालिया भी उपस्थित रहे।

निःशुल्क आधुनिक जांच सुविधा

मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ गुरदर्शन गुप्ता ने उपस्थित प्रतिभागियों को बताया कि 2 सप्ताह से ज्यादा खांसी, बुखार, वजन कम होना गांठों में सूजन की समस्या टीबी की बीमारी होने के संकेत हैं। उन्होंने कहा कि ऐसे व्यक्ति को तुरंत समीप के चिकित्सा केंद्र में जाकर परामर्श व जांच करवानी चाहिए। इसके साथ ही उन्होंने आधुनिक जांच सुविधाओं के बारे में भी जानकारी दी, जो स्वास्थ्य संस्थानों में निःशुल्क उपलब्ध है।

सी बी नैट/ ट्रू नैट की मशीन से 2 घंटे में ना केवल टीबी की बीमारी का पता लगता है, अपितु यह भी पता चल जाता है कि यह साधारण टीबी है या बिगड़ी हुई टीबी है। मरीज को दूर नहीं जाना पड़ता व नजदीकी अस्पताल से ही आशा कार्यकर्ताओं के सहयोग से जांच के नमूने भिजवाने की व्यवस्था भी की गई है। जिससे मरीज खर्चे और परेशानी से बच सकता है। उन्होंने आहवान किया की 2 सप्ताह से अधिक खांसी वाले व्यक्ति तुरंत नजदीकी संस्थान में सम्पर्क करें।

भ्रांतियों को दूर करना होगा

जिला क्षय रोग अधिकारी डॉक्टर राजेश सूद ने बताया कि अक्सर देखने को मिलता है कि कुछ रोगियों और समुदायों में टीबी कि बीमारी को लेकर हीन भावना है और लोग इस बीमारी को कलंक के रूप में देखते हैं। यह भ्रम दूर करना होगा। सभी को यह जानकारी होनी चाहिए कि टीबी के कीटाणु हर तीसरे व्यक्ति के शरीर में मौजूद होते हैं। किसी कारणवश जब किसी व्यक्ति की रोग-प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है तो व्यक्ति में यह रोग दिखता है। इलाज से इस बीमारी से जरूर छुटकारा मिल सकता है। ये सभी बातें लोगों तक पहुंचने के बाद ही टीबी से प्रभावित लोग इलाज की सुविधाओं का लाभ उठा सकेंगे।

उन्होंने कहा कि अक्सर ग्रामीण क्षेत्रों में या शहरी क्षेत्रों में भी लापरवाही की वजह से टीबी के मरीज बीच में ही अपना इलाज छोड़ देते हैं। टीबी के वायरस कई प्रकार के होते हैं, ऐसे में इनके इलाज और दवा भी अवधि भी अलग होती है और व्यक्ति के खानपान का विशेष ध्यान रखना होता है, जिससे उसके अंदर संक्रमण से लड़ने की प्रतिरोधक क्षमता बढ़े। इलाज पूरा न होने और दवा सही समय पर न खाने से मरीज के अंदर का टीबी बैक्टीरिया खत्म नहीं होता और दूसरे भी संपर्क में आकर संक्रमित हो सकते हैं। ऐसे में सरकार की गोद लेने की यह पहल भारत को टीबी मुक्त करने में बड़ा योगदान देगी।

संवाददाता : ब्यूरो कांगड़ा

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