PTA पैरा पेट शिक्षकों को पहली अप्रैल, 2018 से नियमित करे सरकार : चौहान

उज्जवल हिमाचल ब्यूराे। धर्मशाला

हिमाचल राजकीय अध्यापक संघ के प्रदेशाध्यक्ष एवं अखिल भारतीय माध्यमिक शिक्षक महासंघ के उपाध्यक्ष वीरेंद्र चौहान ने पीटीए पैरा एवं पेट शिक्षकों के पक्ष में आए माननीय सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय का अनुपालन करने का सरकार से आग्रह किया है और साथ ही मांग की गई है कि इन शिक्षकों को उनके कॉन्ट्रेक्ट के 3 साल पूरे होने की अवधी से ही नियमित किया जाए।

संघ के महासचिव श्याम लाल हण्डा, वित्त सचिव देव राज ठाकु एवं समस्त कार्यकारिणी के पदाधिकारियों ने सरकार से मांग की है कि इन शिक्षकों को पहली अप्रैल, 2018 से नियमित किया जाए। क्योंकि 5017 पीटीए शिक्षक जनवरी 2015 में कॉन्ट्रेक्ट पर लाए गए थे और इसी तरह जनवरी 18 में उनका 3 वर्ष का कार्यकाल पूरा हो जाता है।

इसलिए उनका नियमितीकरण नियमों के अनुसार भी पहली अप्रैल, 2018 से ही बनता है। लगभग 1300 के आसपास अध्यापक पीटीए कॉन्ट्रेक्ट में आने से वंचित रह गए थे, जिन्हें बाद में जनवरी 2015 से ही कॉन्ट्रैक्ट का स्केल दे दिया था और 2019 में वर्तमान सरकार ने पीटीए अनुबंध एवं पीटीए left out दोनों को regular स्केल दे दिया था। इसलिए सभी पीटीए अध्यापकों का नियमितीकरण पहली अप्रैल, 2018 से ही बनता है। प्रदेश में इस वक्त लगभग 6300 के आसपास पीटीए शिक्षक है।

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लगभग 300 अध्यापक पिछले 2 वर्षों से या तो बैच वाइज ज्वाइन कर चुके हैं या फिर कमीशन के माध्यम से स्कूलों में नए सिरे से अपनी सेवाएं दे रहे हैं। अब जब सुप्रीम कोर्ट से फैसला पीटीए के पक्ष में आया है, तो इन अध्यापकों को निश्चय ही नुकसान उठाना पड़ेगा। इसलिए संघ सरकार से मांग करता है कि इन 300 शिक्षकों को भी पीटीए कॉन्ट्रैक्ट की सेवा का लाभ देकर 2018 से ही नियमित किया जाए। क्योंकि बहुत से साथी ऐसे हैं, जिन्होंने 2019 या 2020 में ही पीटीए कॉन्ट्रेक्ट की नौकरी छोड़ कर पुनः कमीशन के माध्यम से कॉन्ट्रेक्ट पर अपनी सेवाएं शुरू की है।

ऐसे में इन अध्यापकों को अपनी 14 वर्ष की सेवाएं खोने का डर सता रहा है। निश्चय ही ऐसे अध्यापकों को उनकी 14 वर्ष की तपस्या का फायदा मिलना चाहिए। उसी तरह पैरा अध्यापक दिसंबर14 में नियमित हो गए थे, बचे हुए 98 अध्यापकों को भी उसी तिथि से नियमित किया जाए। संघ का मानना है कि पेट अध्यापकों को भी पिछले तिथि से ही नियमित किया जाए, ताकि उन्हें इसी तरह का वित्तीय एवं वरिष्ठता का नुकसान न हो।

अतः संघ हिमाचल सरकार के लोकप्रिय मुख्यमंत्री एवं शिक्षा मंत्री से मांग करता है कि ऐसे अध्यापकों को जिन्होंने विकट परिस्थितियों में प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था को दुरुस्त करने में अपना बहुमूल्य योगदान दिया है, उन्हें नियमित करने के लिए सरकार यथाशीघ्र अधिसूचना जारी करें। क्योंकि सुप्रीम कोर्ट का निर्णय जो 17 अप्रैल, 2020 को आया है, जिसमें इन अध्यापकों के खिलाफ सभी तरह की अपीलों को खारिज करते हुए माननीय उच्च न्यायालय के आदेशों को यथावत रखा गया है, उसकी कॉपी पहले से ही सुप्रीम कोर्ट की साइट पर उपलब्ध है, उसे कानूनी रूप से भी ऑथेंठिक व सही माना जाता है।

इससे पूर्व में भी सरकार ने जब इन शिक्षकों पर स्टेटस को के आदेश किए थे, तब भी सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर उपलब्ध कॉपी के आधार पर ही किए थे, तो आज यह कहना की अभी सुप्रीम कोर्ट से हमें आदेश उपलब्ध नहीं हुए हैं, तर्कसंगत नहीं है। कोविड-19 के लॉकडाउन के कारण सर्वोच्च न्यायालय से इनके आदेश की कॉपी आने में विलंब हो सकता है, तो ऐसे में इन शिक्षकों का क्या दोष है।

सरकार एवं विभाग को माननीय उच्च न्यायालय के 2014 के आदेशों के अनुसार इन सभी शिक्षकों को तुरंत नियमित करने में कोई अड़चन नही होनी चाहिए, क्योंकि 2014 में ही इनकी सेवाएं नियमित करने के आदेश उच्च न्यायालय ने दे दिए थे, जिस पर यूटूर्न लेते हुए उस समय की सरकार ने पीटीए को नियमित के बजाए कॉन्ट्रैक्ट पर लाया था, जो कि गलत था।