हिमाचल सरकार का बड़ा निर्णयः भूमि, भवन व किसी भी अन्य तरह की अचल संपत्ति नहीं खरीद सकेंगे अधिकारी

Himachal government's big decision: Officers will not be able to buy land, building and any other immovable property
हिमाचल सरकार का बड़ा निर्णयः भूमि, भवन व किसी भी अन्य तरह की अचल संपत्ति नहीं खरीद सकेंगे अधिकारी

उज्जवल हिमाचल। शिमला
प्रशासनिक क्षेत्र में लोगों से सीधे जुड़े अधिकारियों के ऊपर किसी तरह की उंगली न उठे, इसको लेकर हिमाचल सरकार ने बड़ा निर्णय लिया है। सरकार ने पहले से जारी किए गए आदेशों को फिर से लागू किया है। इन आदेशों के अनुसार अब डीसी व एसपी से लेकर 28 श्रेणी के अधिकारी अपने क्षेत्राधिकार में भूमि, भवन अथवा किसी भी अन्य तरह की अचल संपत्ति नहीं खरीद सकेंगे।

आदेशों के अनुसार अधिकारी अपने परिजनों के नाम भी इस तरह की भूमि, भवन अथवा अचल संपत्ति खरीद नहीं पाएंगे। ऐसे अधिकारी तबादले या संबंधित क्षेत्र में अपनी सेवा अवधि समाप्ति के 2 साल बाद ही भूमि, भवन अथवा अचल संपत्ति खरीदने के हकदार होंगे।

कार्मिक विभाग की ओर से जारी इन आदेशों की अवहेलना करें पर ऑल इंडिया सिविल सर्विस कंडक्ट रुल्स व सिविल सर्विस कंडक्ट नियमों के तहत कार्रवाई अमल में लाई जाएगी। प्रदेश सरकार ने 28 श्रेणी के अधिकारियों को इसके दायरे में लाया है।

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इसमें मंडलीय आयुक्त, डीसी, एडीसी, एडीएम, एसडीएम, तहसीलदार, नायब तहसीलदार, पटवारी रैंक के राजस्व अधिकारी, एसपी, डीएसपी, एएसपी, कंजर्वेटर ऑफ फोरेस्ट, डीएफओ, फोरेस्ट रेंजर, अधीक्षण अभियंता, कार्यकारी अभियंता, सहायक अभियंता, कनिष्ठ अभियंता, जिला बागवानी अधिकारी, कृषि विकास अधिकारी, विलेज एक्सटैंशन अधिकारी, उपनिदेशक, एसएमएस, सहायक आबकारी एवं कराधान आयुक्त, आबकारी एवं कराधान अधिकारी, सहायक आबकारी एवं कराधान अधिकारी, आबकारी एवं कराधान के इंस्पेक्टर, डीएफ एंड एससी व विभाग के अन्य अधिकारी, जीएम, मैनेजर, खनन अधिकारी व विभाग के अन्य अधिकारी, बीडीओ व विभाग के अन्य अधिकारी तथा जिला श्रम अधिकारी व विभाग के अन्य अधिकारी शामिल हैं।

इसी तरह म्युनिसिपल कमेटी के आयुक्त, सहायक आयुक्त, कार्यकारी अभियंता, सहायक अभियंता, सचिव, कार्यकारी अधिकारी व जेई शामिल हैं। मुख्य सचिव प्रबोध सक्सेना ने कहा कि यह प्रशासनिक सुधार की श्रृंखला का हिस्सा है। ऐसे में पब्लिक डीलिंग से जुड़े अधिकारियों पर कोई उंगली न उठे, इसलिए सरकार ने पुरानी आदेशों को लागू किया है।

राज्य सरकार की ओर से सबसे पहले वर्ष 1996 में ऐसे आदेश जारी हुए थे। उसके बाद वर्ष, 2012 में भी ऐसे आदेशों को लागू किया गया था, ताकि प्रशासन में पारदर्शिता बनी रहे और अधिकारियों के कामकाज पर कोई सवाल न उठा सके। अब एक बार फिर से वर्तमान सरकार ने पूर्व में वापस लिए गए इन आदेशों को लागू करने का निर्णय लिया है।

संवाददाताः ब्यूरो शिमला

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