
उज्जवल हिमाचल। गोहर
वैसे तो हिमाचल देवभूमि (Himachal Devbhomi) के नाम से जाना जाता है। देवभूमि के साथ-साथ यहां के लोगों ने यहां की परंपरा को सदियों से संभाल के रखा हुआ है। आज मुझे बहुत खुशी हो रही है कि मैं आप लोगों के बीच मंडी जनपद के ऐतिहासिक मेले मेला कथा के शुभारंभ पर आई हूं।
आराध्य देव तुंगासी महामाया ऋंगा ऋषि के आशीर्वाद से मेला कथा को विधिवत रूप आरम्भ करती हूं। यह मेला सदियों से चला आ रहा है। त्रेतायुग में भगवान महादेव की सबसे बड़े भगत रावण के समय से यह परंपरा चली आ रही है। द्वापर युग में पांडवों की वनवास काल व अज्ञातवास काल का अधिकतर समय इन्हीं क्षेत्रों में बीता है।
उसके बाद आज कलयुग में हम रह रहे हैं, तो यहां के सबसे बड़े देवता देव कमरुनाग हमारे बीच में विराजमान है। उन सभी के आशीर्वाद से यह मेला सदियों से चला रहा है। मेले हमारी संस्कृति व परंपरा को दर्शाते हैं। हमें अपनी परंपराओं को बनाए रखना है।
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आप सभी लोग मेले की परंपरा को बनाए रखें। आप लोग बहुत सौभाग्यशाली हो, जो आप की जन्मभूमि यहां है। मैं भी अपने आप को बहुत भाग्यशाली मानती हूं क्योंकि मेरी कर्मभूमि है।
मेला कुथाह के शुभ अवसर पर मैं आप सभी को प्रधान हेमराज ठाकुर, जगदीश ठाकुर, तहसीलदार दीक्षांत ठाकुर, डीएसपी करसोग गीतांजलि ठाकुर सभी पुलिस कर्मचारियों व यहां की समस्त जनता को बधाई देती हूं और यहां की जनता से आग्रह करती हूं कि मेला अवधि में शांति बनाए रखें और आपसी भाईचारे और परंपरा का निर्वहन करते हुए इस मेले को आगे बढ़ाएं।