नड्डा की चेतावनी के बाद भाजपा नेताओं की बढ़ी परेशानियां…

JP Nadda
उज्जवल हिमाचल। डेस्क
जेपी नड्डा के नेतृत्व में भाजपा ने उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, गोवा और मणिपुर में जीत पाई है। इससे उनका कद बढ़ा है। ऐसे में नड्डा के लिए अपने गृह राज्य हिमाचल प्रदेश में भाजपा को जिताना बहुत बड़ी परीक्षा की तरह होगा। अपनी प्रतिष्ठा का ध्वज ऊंचा रखने के लिए वह किसी भी कमजोर प्रत्याशी को टिकट नहीं दिलाना चाहेंगे। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा की चेतावनी के बाद मंत्रियों और नेताओें की धुकधुकी बढ़ गई है।
धर्मशाला में पिछले दिनों मंत्रियों और विधायकों को नड्डा ने दोटूक कहा किसी का भी टिकट पक्का नहीं है। टिकट सर्वे के आधार पर तय किए जाएंगे। नौ अप्रैल को शिमला में रोड शो के बाद भी नड्डा ने चेताया था कि हिमाचल में भी दस से पंद्रह फीसदी तक टिकट कट सकते हैं। उन्होंने उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में भी ऐसा किए जाने का उदाहरण दिया था। बेशक, नड्डा ने हिमाचल आकर मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर और उनके मंत्रिमंडल में फेरबदल नहीं करने की बात की हो, मगर उन्होंने एक बात साफ-साफ दोहराई है कि कोई भी अपना टिकट फाइनल न समझे।
इस बारे में पात्रता देखी जाएगी। सर्वेक्षण भी होगा। ऐसे में जयराम कैबिनेट के मंत्रियों को बेशक इस विधानसभा के कार्यकाल में कुर्सी जाने की चिंता न हो, मगर इनमें कइयों के टिकट कटने की चिंता भी बढ़ गई है। उपचुनाव में कुछ मंत्रियों का प्रदर्शन बहुत कमजोर रहा है। इसी से मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के गृह संसदीय क्षेत्र मंडी के लोकसभा चुनाव में भाजपा को मुंह की खानी पड़ी। यहां से कांग्रेस ने जीत का परचम लहराया।
तीन विधानसभा हलकों अर्की, फतेहपुर और जुब्बल-कोटखाई में भी भाजपा उपचुनाव हार गई। इसके लिए प्रभारी, सह प्रभारी मंत्रियों के प्रदर्शन पर भी सवाल उठे। उन मंत्रियों और भाजपा विधायकों की प्रतिष्ठा पर भी प्रश्न उठे, जो अपने विधानसभा हलकों में ही भाजपा को लीड नहीं दिला पाए। आगामी विधानसभा चुनाव तक अगर इनका प्रदर्शन अपने क्षेत्रों में कमजोर रहा तो इनके टिकट कट सकते हैं। ऐसे में ये अपने-अपने इलाकों में डट गए हैं।
नड्डा के नेतृत्व में भाजपा ने उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, गोवा और मणिपुर में जीत पाई है। इससे उनका कद बढ़ा है। ऐसे में नड्डा के लिए अपने गृह राज्य हिमाचल प्रदेश में भाजपा को जिताना बहुत बड़ी परीक्षा की तरह होगा। अपनी प्रतिष्ठा का ध्वज ऊंचा रखने के लिए वह किसी भी कमजोर प्रत्याशी को टिकट नहीं दिलाना चाहेंगे। चाहे वे मंत्री और विधायक ही क्यों न हो। इसीलिए उनकी बारंबार टिकट तय करने पर आ रही चेतावनियों से मंत्रियों, विधायकों की धुकधुकी का बढ़ना स्वाभाविक है।