भविष्य में पानी की कमी से निपटने के लिए इसके संवर्धन की है जरूरत: प्रो.हिरेंद्र कुमार

उमेश भारद्वाज। मंडी

खेती बिना पानी के संभव नहीं है और देश व प्रदेश में आने वाला समय पानी का होगा। प्रदेश में अधिकतर क्षेत्रों में अधिक बारिश होने के बावजूद अभी भी वर्षा आधारित खेती की जाती है। जबकि प्रदेश से बहने वाली नदियों और नालों से पड़ोसी राज्यों की भूमि को सिंचित किया जाता है।

इसलिए भविष्य में पानी के संवर्धन को लेकर कार्य करने की जरूरत है। यह बात हिमाचल प्रदेश कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर के कुलपति प्रोफेसर हिरेंद्र कुमार चौधरी ने मीडिया से अनौपचारिक बातचीत में कही। मंडी जिले के विकास खंड धनोटू के शेरड़ गांव में अपने दौरे के दौरान हिरेंद्र चौधरी ने जलवायु अनुकूल कृषि पर राष्ट्रीय नवाचार प्रोजेक्ट के तहत जल संवर्धन को लेकर आयोजित एक कार्यक्रम की अध्यक्षता की।

हिरेंद्र चौधरी ने कहा कि निकरा प्रोजेक्ट का मुख्य उद्धेश्य जलवायु के बदलते परिवेश में जलवायु अनूरूप कृषि प्रोद्योगिकियों का समावेश कर चयनित गांव को एक मॉडल विलेज के तौर पर विकसित करना है। उन्होंने प्रदेश में जल की कमी को लेकर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि प्रदेश में अधिकतर क्षेत्रों में अभी भी बारानी (वर्षा आधारित) खेती होती है। जबकि बहुत सारी नदियां-नाले प्रदेश से बहकर पड़ोसी राज्यों की भूमि को सिंचित करते हैं।

उन्होंने किसानों से अपील की है कि वर्षा जल को अपनी भूमि के आस-पास तालाब बनाकर संरक्षित करें,जिससे जरूरत पड़ने पर सिंचाई उपलब्ध हो सके। प्रदेश कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर द्वारा कृषि विज्ञान केंद्रों से जुड़े प्रगतिशील किसानों को कृषि दूत का सम्मान देकर प्रदेश के कोने-कोने में अन्य किसानों को नई कृषि तकनीकों के प्रति जागरूक करने को लेकर कार्य किया जा रहा है।

मंडी जिला के नाचन विधानसभा क्षेत्र की ग्राम पंचायत पलौहटा के प्रगतिशील किसान एवं पंडित दीनदयाल उपाध्याय अंत्योदय कृषि राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता संजय सकलानी ने कहा कि क्षेत्र में पानी को लेकर काफी अधिक समस्या रहती है। इस समस्या से कृषि को बचाने के लिए उनके द्वारा वर्षा के पानी को 60 हजार लीटर क्षमता वाले वाटर हार्वेस्टिंग टैंक में संग्रहित कर उपयोग में लाया जाता है।

मंडी जिला के सराज विधानसभा क्षेत्र की ग्राम पंचायत बगस्याड के खन्यारी प्रगतिशील किसान एवं पंडित दीनदयाल उपाध्याय अंत्योदय कृषि राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता कुंदन लाल ने कहा कि जल संवर्धन को लेकर सराज क्षेत्र में क्लस्टर के माध्यम से वाटर लिफ्टिंग का काम हो रहा है। इसके तहत उनके गांव खन्यारी में 40 लाख रूपयों की लागत से जल सुविधा पर खर्च किए जा रहे हैं।