जिला परिषद कैडर के कर्मचारियों और अधिकारियों ने वापस ली हड़ताल

उज्जवल हिमाचल। शिमला

जिला परिषद कैडर के 3,800 कर्मचारियों और अधिकारियों ने हड़ताल वापस ले ली है। सरकार से आश्वासन मिलने के बाद कर्मचारियों ने हड़ताल वापस ले ली है। सरकार ने पंचायती राज विभाग के निदेशक की अध्यक्षता में कमेटी गठित कर इन अधिकारियों और कर्मचारियों के लंबित मसले सुलझाने का भरोसा दिलाया है। ये कर्मचारी और अधिकारी जिला परिषद के कैडर को पंचायती राज विभाग के कर्मचारी का दर्जा देने की मांग रहे थे। इसके अलावा संशोधित वेतनमान और समय पर वेतन जारी करने का मामला भी प्रमुखता से उठा रहे थे।

जिला परिषद कैडर के कर्मचारियों को विभाग के तहत करने के लिए एक कमेटी का गठन का आश्वासन सरकार की तरफ से दिया गया है। इसमें पंचायती राज और ग्रामीण विकास विभाग के आला अधिकारियों को शामिल किया जाएगा। यह कमेटी उन राज्यों का अध्ययन करेगी जिनमें जिला परिषद कर्मचारियों को ग्रामीण विकास विभाग के तहत लाया गया है। इस रिपोर्ट के बाद प्रदेश सरकार भी उसी तर्ज पर इन कर्मचारियों को पंचायती राज विभाग में मर्ज करने पर विचार करेगी।

इससे पहले पिछले करीब 10 दिनों से हड़ताल पर बैठे जिला परिषद कैडर के कर्मचारियों की मांगों पर बोलते हुए ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्री वीरेंद्र कंवर ने कहा था कि इन कर्मचारियों की मांगों को प्रदेश सरकार सहानुभूति से हल करने पर विश्वास रखती है। वीरेंद्र कंवर ने कहा कि जहां तक ज़िला परिषद कैडर के कर्मचारियों की नए वेतन आयोग और सैलरी से संबंधित अन्य मांगें हैं। उन पर प्रदेश सरकार जल्द ही निर्णय कर लेगी।

इसके अलावा अन्य छोटी मांगों पर भी सरकार के निर्णय लेगी, लेकिन जहां तक जिला परिषद कैडर के कर्मचारियों को पंचायती राज विभाग में मर्ज करने के बाद है इस पर सरकार ने एक कमेटी के गठन का फैसला लिया है। इस कमेटी में कुल 5 सदस्य शामिल किए जाएंगे। जिनमें ग्रामीणों विकास और पंचायती राज सहित अन्य विभागों के अधिकारी भी शामिल होंगे। यह कमेटी उन राज्यों में पॉलिसी का अध्ययन करेगी। जिनमें जिला परिषद कैडर के कर्मचारियों को विभागों में मर्ज किया गया है।इसके बाद प्रदेश सरकार इस रिपोर्ट के आधार पर ही हिमाचल प्रदेश में भी कोई निर्णय ले पाने में समर्थ होगी। 4800 जिला परिषद कर्मचारी करीब 10 दिन से हड़ताल पर डटे थे। इनकी पेन डाउन स्ट्राइक की वजह से ग्रामीणों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा। पंचायत दफ्तर में ग्रामीणों के कोई भी काम नहीं हो पा रहे थे।