उज्जवल हिमाचल। शिमला
टेलिकॉम रेगुलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया (ट्राई) के फैसलों से हिमाचल के केबल आपरेटर्ज नाराज हैं। राजधानी शिमला सहित प्रदेश के सभी जिलों में सेवाएं देने वाले केबल आपरेटरों ने जी, सोनी व स्टार चैनल दिखाने बंद कर दिए है और इसके पीछे दाम बढ़ाने के दबाव का आरोप जड़ा है।
केबल आपरेटरों का कहना है कि ट्राई ने पहले भी एनटीओ लागू करके छलावा किया है और अब फिर से ट्राई द्वारा ऐसा किया जा रहा है। जानकारी के अनुसार प्रदेश के केबल ऑपरेटर्स ट्राई और ब्रॉडकास्टर चैनलों के दाम बढ़ाने को लेकर आक्रोशित हो गए हैं। आपरेटरों ने बड़े चैनलों को दिखाना बंद कर दिया है। केबल ऑपरेटर्स ने बताया कि उपभोक्ता केबल नेटवर्क पर अपने पसंदीदा चैनल नहीं देख पा रहे है।
ट्राई और ब्रॉडकास्टर चैनलों के दाम बढ़ाने का दबाव बना रहे हैं। केबल कंपनियां दाम बढ़ाने के पक्ष में नहीं हैं। कंपनियों ने उपभोक्ताओं के हितों का हवाला देते हुए दाम न बढ़ाने का निर्णय लिया है। वहीं, ब्रॉडकास्टरों की मनमानी के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए केबल नेटवर्क ने भी स्टार, सोनी और जी के चैनल दिखाने बंद कर दिए हैं।
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बताया जाता है कि ट्राई ने पहले भी छल किया है। केबल ऑपरेटरों का कहना है कि ट्राई ने पहले भी एनटीओ लागू कर देश की जनता को सस्ता मनोरंजन प्रदान करने के नाम पर ठगा है। पहले उपभोक्ता 200 से 250 रुपए प्रति माह में सभी ब्रॉडकास्टरों के चैनल देख पाते थे, लेकिन अब 400 रुपए अदा करने के बाद भी अधिकतर चैनल मनोरंजन से गायब हैं।
केबल ऑपरेटर्स का कहना है कि अगर ट्राई और ब्रॉडकास्टर रेट बढ़ाने में कामयाब हो जाते हैं, तो इसका सीधा असर उपभोक्ताओं की जेब पर पड़ेगा। इसका केबल ऑपरेटर कड़ा विरोध करते हैं। केबल ऑपरेटरों ने केंद्र और प्रदेश सरकार से इस मामले पर हस्तक्षेप करने की अपील की है, जिससे आम जनता को मनोरंजन की सुविधा सस्ते दामों पर मिल सके।
आपरेटरों का कहना है कि लगभग सभी बड़े चैनलों ने अपने पैकेज के रेट बढ़ा दिए हैं। हिंदुस्तान भर में अभी तक ऑपरेटर्स ने ये बड़े हुए रेट शुरू नहीं किए है। इस वजह से पीछे से ही बड़े चैनलों ने केबल ऑपरेटर्स को फीड देना बंद कर दिया है। यही कारण है कि लोग अपने टेलीविजन पर विभिन्न मुख्य चैनल नहीं देख पा रहे हैं।
ऑपरेटर का तर्क है कि चैनलों के पैकेज के बड़े हुए रेट देने का सीधा असर उपभोक्ताओं पर पड़ेगा। अभी तक लोग अपने घरों में 350 रुपए तक में केबल टीवी के अधिकतर चैनल देख पा रहे हैं। यदि केबल ऑपरेटर्स ने चैनलों की बात मान ली, तो उपभोक्ताओं पर 500 रुपए और इससे भी अधिक का बोझ पड़ जाएगा।