अगर सरकार ने जल्द निर्णय नहीं लिया तो सड़कों पर उतरेगा छात्र-अभिभावक संघ

उज्जवल हिमाचल ब्यूरो। शिमला

छात्र-अभिभावक मंच हिमाचल प्रदेश ने निजी स्कूलों द्वारा वर्ष 2021 की ट्यूशन फीस में फीस में पंद्रह से पैंसठ प्रतिशत बढ़ोतरी व कंप्यूटर फीस में सौ प्रतिशत तक की बढ़ोतरी, छात्रों व अभिभावकों को मानसिक तौर पर प्रताडि़त करने व निजी स्कूलों में प्रबंधन द्वारा शिक्षकों व गैर शिक्षकों की कोरोना काल में छंटनी व उनको वेतन न देने के खिलाफ शिक्षा विभाग व प्रदेश सरकार द्वारा कोई ठोस कार्रवाई न करने तथा किताबों व ड्रेस के नाम पर की जा रही कमीशनखोरी पर रोक लगाने के संदर्भ में कोई आदेश जारी न करने को लेकर कड़ा रोष जाहिर किया है। मंच ने चेतावनी दी है कि इस संदर्भ में अगर तुरंत आदेश जारी न हुए तो मंच इसके खिलाफ मोर्चा खोलेगा व सड़कों पर उतरकर आंदोलन करेगा। मंच के संयोजक विजेंद्र मेहरा ने कहा है कि 6 अप्रैल 2021 को जब मंच के सदस्यों ने इन मुद्दों पर शिक्षा निदेशालय के बाहर प्रदर्शन किया था तो शिक्षा निदेशालय के अधिकारियों ने आश्वासन दिया था कि दो दिन के भीतर वर्ष 2021 में निजी स्कूलों द्वारा की गई पंद्रह से पैंसठ प्रतिशत फीस बढ़ोतरी पर रोक लगाने के आदेश जारी कर दिए जाएंगे परन्तु पांच दिन बीतने के बाद भी अभी तक ऐसे कोई आदेश जारी नहीं हुए हैं। यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि शिक्षा निदेशालय बिना जनरल हाउस के फीस बढ़ोतरी पर रोक लगाने के संदर्भ में वर्ष 2020 के स्वयं के आदेशों को लागू करवाने में पूर्णत: विफल रहा है। उन्होंने कहा है कि प्रदेश सरकार की नाकामी व उसके निजी स्कूलों से मिलीभगत के कारण निजी स्कूल दोबारा से मनमानी पर उतर आए हैं।

ये स्कूल वर्ष 2021 में दोबारा से सीधी लूट पर उतर आए हैं। इन स्कूलों ने इस वर्ष टयूशन फीस में अभिभावकों के साथ बिना किसी बैठक के ट्यूशन फीस में पंद्रह से पैंसठ प्रतिशत तक की वृद्धि कर दी है। निजी स्कूलों ने कंप्यूटर फीस में सौ प्रतिशत तक की वृद्धि करके उसे दोगुना कर दिया है। जो अभिभावक निजी स्कूलों की लूट का विरोध कर रहे हैं,उन्हें व उनके बच्चों को मानसिक तौर पर प्रताडि़त किया जा रहा है। शिक्षा विभाग के 27 मई 2020 के आदेश अनुसार निजी स्कूल अध्यापकों व कर्मचारियों के कोरोना काल के वेतन का भुगतान भी नहीं कर रहे हैं। उन्होंने कहा है कि निजी स्कूल द्वारा एक ओर फीस बढ़ोतरी के नाम पर भारी लूट की जा रही है वहीं दूसरी ओर सीबीएसई व हिमाचल प्रदेश स्कूल शिक्षा बोर्ड के दिशा-निर्देशनुसार एनसीईआरटी व एससीईआरटी की सस्ती व गुणवत्तापूर्वक किताबों को लगाने के बजाए प्राइवेट पब्लिशर्ज की चार गुणा महंगी किताबों को बेचकर निजी स्कूल प्रबंधनों द्वारा अभिभावकों पर भारी आर्थिक बोझ लाद कर भारी मुनाफाखोरी की जा रही है। इस पर तुरन्त रोक लगनी चाहिए। निजी स्कूल अभी भी एनुअल चार्जेज की वसूली करके एडमिशन फीस को पिछले दरवाजे से वसूल रहे हैं व हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के वर्ष 2016 के निर्णय की अवहेलना कर रहे हैं, जिसमें उच्च न्यायालय ने एडमिशन फीस सहित कई तरह के चार्जेज की वसूली पर रोक लगाई थी। उन्होंने प्रदेश सरकार से मांग की है कि वह निजी स्कूलों में फीस, पाठयक्रम व प्रवेश प्रक्रिया को संचालित करने के लिए तुरंत ठोस कानून बनाए।