मंडी शहर में फागली की झलक देखकर श्रधालु हुए भावविभोर, दूसरी जलेब में बना आकर्षण का केंद्र

उमेश भारद्वाज। मंडी

अंतरराष्ट्रीय शिवरात्रि मेला मंडी में पहली बार सराज क्षेत्र में मनाए जाने वाले प्रमुख मुखौटा ‘फागली उत्सव’ का मंचन किया गया। इस अवसर पर सराज प्राचीन कला एवं सांस्कृतिक मंच परखोल तहसील बालीचौकी द्वारा राज देवता माधोराय की दूसरी जलैब में फागली उत्सव का मंचन कर राजदेवता माधोराय की दूसरी जलेब में श्रधालुओं के लिए आकर्षण का केंद्र रहे।

राज प्राचीन कला एवं सांस्कृतिक मंच परखोल के अध्यक्ष नेसर सिंह ने कहा कि सराज क्षेत्र में माघ और फागण महीने में मनाए जाने वाले परंपरागत ‘फागली उत्सव’ में मुखौटा नृत्य यहां की देव संस्कृति का परिचायक है। विश्वास है कि मुखौटा नृत्य से बुरी शक्तियों को दूर खदेड़ा जा सकता है। उन्होंने कहा कि मंडी शिवरात्रि में इन दिनों लोक कलाकार मुखौटा नृत्य की प्रस्तुति से सभी को अभिभूत कर रहे है।

क्या है मुखौटा नृत्य ‘फागली’….

बता दें कि फागली उत्सव के दौरान ग्रामीण मुखौटे पहन कर देवता के प्रांगण में नृत्य करते हैं। कुल्लू की बंजार घाटी और मंडी की सराज घाटी के कई गांव में माघ और फागण महीने में देवता प्रांगाण में फागली उत्सव मनाया जाता है। जिसमें गांव के कुछ लोग मुखौटा पहनकर देवता के साथ नृत्य करते हैं और ग्रामीण इस नृत्य का आनंद लेते हैं। इस उत्सव में बुराई पर अच्छाई और पाप पर पुण्य अधर्म पर धर्म की विजय गाथाओं का गुणगान किया जाता है।

इन गाथाओं को स्थानीय लोग परंपरागत तरीके से ढोल-नगाड़े, करनाही, शहनाई, डफला, भाणा, कांसा और काहुली की कलरव ध्वनि के साथ धूमधाम से गाते हैं और देवता की पालकी के साथ भाग लेते हैं। फागली उत्सव में लोगों ने कांटेदार झाड़ियों पर नंगे पांव से नृत्य भी किया जाता है।