ISRO ने लॉन्च किया पहला SSLV-D1, लेकिन टूटा सेटेलाइट से संपर्क

उज्जवल हिमाचल। डेस्क

इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन ने अपने पहले स्मॉल सेटेलाइट लॉन्च व्हीकल मिशन (SSLV) को लॉन्च कर दिया है। SSLV की आज की लॉन्चिंग में एक ‘अर्थ ऑब्जर्वेशन सेटेलाइट’ और एक ‘स्टूडेंट सेटेलाइट’ ने उड़ान भरी है। इस ऐतिहासिक मिशन को यहां से लगभग 135 किलोमीटर दूर श्रीहरिकोटा स्थित स्पेस लॉन्च सेंटर से अंजाम दिया गया है।

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने जानकारी दी कि SSLV रॉकेट की लॉन्चिंग सक्सेसफुल रही। रॉकेट ने ठीक तरह से मिशन को अंजाम देते हुए दोनों सैटेलाइट्स (EOS02 और AzaadiSAT) को उनकी तय कक्षा में पहुंचा दिया। जिसके बाद रॉकेट अलग हो गया। इसरो ने आगे बताया, ‘लेकिन दोनों सैटेलाइट्स से किसी भी तरह का डेटा मिलना अब बंद हो गया है।’

गौरतलब है कि अपने भरोसेमंद पोलर सैटेलाइट लांच व्हीकल (PSLV), जियोस्टेशनरी सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (GSLV) के माध्यम से सफल अभियानों को अंजाम देने में एक खास जगह बनाने के बाद इसरो ने स्मॉल सेटेलाइट लॉन्च व्हीकल से पहली लॉन्चिंग की है, जिसका इस्तेमाल पृथ्वी की निचली कक्षा में सेटेलाइट्स को स्थापित करने के लिए किया गया। इसरो के वैज्ञानिक ऐसे छोटे सेटेलाइट्स की लॉन्चिंग के लिए पिछले कुछ समय से मिनि लॉन्च व्हीकल (यान) विकसित करने में लगे हुए थे, जिनका वजन 500 किलोग्राम तक हो और जिन्हें पृथ्वी की निचली कक्षा में स्थापित किया जा सके।

एसएसएलवी 34 मीटर लंबा है, जो पीएसएलवी से लगभग 10 मीटर कम है और पीएसएलवी के 2.8 मीटर की तुलना में इसका डायमीटर दो मीटर है। एसएसएलवी का उत्थापन द्रव्यमान 120 टन है। जबकि पीएसएलवी का 320 टन है, जो 1,800 किलोग्राम तक के उपकरण ले जा सकता है।

रविवार के मिशन में एसएसएलवी के जरिए अर्थ ऑब्जर्वेशन सेटेलाइट (ईओएस)-02 और एक सह-यात्री उपग्रह ‘आजादीसैट’ को भेजा गया है, जिसे ‘स्पेस किड्ज इंडिया’ की छात्र टीम द्वारा विकसित किया गया था। इसरो के सूत्रों के मुताबिक, अन्य अभियानों की तुलना में उलटी गिनती को 25 घंटे से घटाकर पांच घंटे कर दिया गया था और रविवार को इसे श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र के पहले लॉन्च पैड से सुबह 9.18 पर लॉन्च किया गया।

लगभग 13 मिनट की यात्रा के बाद एसएसएलवी सबसे पहले ईओएस-02 को इच्छित कक्षा में स्थापित करेगा। इस सेटेलाइट को इसरो द्वारा डिजाइन किया गया है। एसएसएलवी इसके बाद ‘आज़ादीसैट’ को पृथ्वी की कक्षा में स्थापित करेगा। यह सेटेलाइट आठ किलोग्राम का क्यूबसैट है, जिसे देश भर के सरकारी स्कूलों की छात्राओं द्वारा स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में डिजाइन किया गया है।

‘आज़ादीसैट’ में 75 अलग-अलग उपकरण हैं, जिनमें से प्रत्येक का वजन लगभग 50 ग्राम है। देशभर के ग्रामीण क्षेत्रों की छात्राओं को इन उपकरणों के निर्माण के लिए इसरो के वैज्ञानिकों द्वारा मार्गदर्शन प्रदान किया गया था, जो ‘स्पेस किड्स इंडिया’ की छात्र टीम द्वारा इंटीग्रेटेड है। ‘स्पेस किड्ज इंडिया’ द्वारा विकसित ग्राउंड सिस्टम का इस्तेमाल इस सेटेलाइट से डेटा हासिल करने के लिए किया जाएगा।