कायरों पर हमारे वीर जवानों की हुंकार का सबूत है कारगिल विजय दिवस: कैप्टन संजय

-पराशर ने बणी में सम्मानित किए 743 सैनिक, पूर्व सैनिक व वीर नारियां

उज्जवल हिमाचल। परागपुर

जसवां-परागपुर क्षेत्र की बणी पंचायत में मंगलवार को कारगिल विजय दिवस के उपलक्ष्य पर कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसमें बतौर मुख्य वक्ता कैप्टन संजय शामिल हुए। इस अवसर पर पराशर और सैन्य परिवारों ने कारगिल युद्ध में शहीद हुए हिमाचल के 52 सैनिकों को पुष्पाजंलि भी अर्पित की। संजय ने इस कार्यक्रम में 743 सैनिकों, भूतपूर्व सैनिकों और वीर नारियों का फूलमाला से स्वागत किया और उन्हें स्मृति देकर सम्मानित किया।

कारगिल विजय दिवस के इस समारोह में कैप्टन संजय ने कहा कि पाकिस्तान द्वारा वर्ष 1999 में भारत पर अघोषित युद्ध थोपा गया था, लेकिन इस जंग में भारतीय सेना की जीत इतिहास के स्वर्णिम अक्षरों में दर्ज है। पराशर ने कहा कि बेशक 26 जुलाई का दिन कायरों के ऊपर हमारे वीर जवानों की हुंकार का सबूत है। सही मायनाें में यह युद्ध भारतीय सेना के लिए इतना आसान भी नहीं था।

पाक सेना ऊपर पहाड़ी पर थी तो भारतीय सेना ने नीचे से ऊपर चढ़ाई करनी थी। इस दौरान भारतीय सेना जाबांज हौसलों के साथ अदभुत पराक्रम, असाधारण शौर्य व धैर्य और राष्ट्र के प्रति कर्तव्यनिष्ठा का परिचय देते दुश्मन देश के सैनिकों व घुसपैठियों को धूल चटा दी और करारी शिकस्त दी थी। संजय ने कहा कि भारत एक शांति प्रिय राष्ट्र है और हमारे देश ने कभी भी किसी अन्य देश की जमीन पर कब्जा करने या युद्ध करने की पहल नहीं की, लेकिन जब-जब भी दुश्मन की तरफ से ऐसा करने के प्रयास हुए, भारतीय सेना ने हर बार मुंह तोड़ जबाव दिया।

कहा कि कारगिल युद्ध में शहीद हुए सैनिक समाज व देश के गाैरव हैं। वीरता व अदम्य साहस को दिखलाने में हिमाचली सैनिकों का कोई सानी नहीं है। पहला परमवीर चक्र मेजर सोमदत शर्मा काे मिला, जोकि हमारे ही प्रदेश से संबधित थे। संजय ने कहा कि कारगिल की लड़ाई में श्रीनगर-लेह मार्ग के ठीक ऊपर सबसे महत्त्वपूर्ण 5140 चोटी को पाक सेना से मुक्त करवाने का जिम्मा भी हिमाचल प्रदेश के पालमपुर के वीर योद्धा कैप्टन विक्रम बतरा को दिया गया था।

बेहद दुर्गम क्षेत्र होने के बावजूद विक्रम बतरा ने अपने साथियों के साथ इस पोस्ट पर विजय हासिल की। इस जीत की घोषणा करने के लिए विक्रम ने अपने कोडवर्ड ये दिल मांगे मोर का उद्घोष किया जिससे, इस नारे को एक नई पहचान भी मिली। अपने साथी की जान बचाते हुए कैप्टन विक्रम शहीद हो गए, लेकिन भारत के इस शेरशाह यानि विक्रम बतरा की शौर्य व बहादुरी की कहानियां दुश्मन देश पाकिस्तान में भी सुनाई जाती हैं।

हिमाचल से ही संबंध रखने वाले सौरभ कालिया कारगिल युद्ध के पहले शहीद थे। संजय ने कहा कि भारत की एकता, अखंडता व संप्रुभता पर जो बुरी नजर रखने की कोशिश करेगा, उसके इरादों को भारतीय सेना कुचल कर रख देगी। इतिहास इस बात का साक्षी है कि भारतीय सेना ने हर बार खुद को श्रेष्ठ साबित किया है, इसलिए आज सैनिकों, पूर्व सैनिकों और वीर नारियों को सम्मानित करते हुए वह खुद को गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं। कार्यक्रम में सेवानिवृत कर्नल बिपन शर्मा ने भी उपस्थित जनसमूह को संबोधित किया।