बर्फबारी की कमी से इस साल हिमाचल पर छाया पानी की कमी का संकट

गर्मी के महीनों में पानी की समस्या का करना पड़ सकता है सामना
उज्जवल हिमाचल। कुल्लू

इस साल कुल्लू की वादियों में बारिश से तो किसानों को लाभ हुआ लेकिन बर्फबारी न के बराबर रही है, जिससे यहां की घाटियों और पहाड़ों में बर्फ बहुत कर देखने को मिल रही है। बिलकुल ऊंचाई वाले क्षेत्रों में ही थोड़ी बहुत बर्फबारी हुई है। बात करें पतलीकूहल क्षेत्र की तो इस बार यह क्षेत्र भी बर्फबारी का इंतजार ही करता रहा। जहां सर्दियों के मौसम में यहां आधा फुट तक बर्फबारी होती थी, वहीं इस बार सर्दियों में यहां दो बार बर्फबारी हुई लेकिन एक इंट से ज्यादा बर्फ रिकार्ड नहीं हुई जो कि कुछ मिनटों में ही साफ हो जाती थी।

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हालांकि अभी भी प्रदेश में बारिश की जरुरत है, कई जिलों में खेतों में फसलें सूखने की कगार पर हैं, क्योंकि वहां बारिश केवल नाम की हुई है। वहीं कुल्लू घाटी में पश्चिमी विक्षोप थोड़ा मेहरबान रहा, जिससे खेतों व बागानों में नमी से किसानों व बागबानों को फसलें ऊगाने में थोड़ी आसानी होगी। लेकिन जिस तरह से ग्लोबल वार्मिंग का असर हर साल बढ़ता जा रहा है, वह सबके लिए चिंता का विषय बना हुआ है, क्योंकि हिमाचल प्रदेश में ज्यादातर कृषि व बागबानी दारमदार बारिश व बर्फबारी पर ही निर्भर है।

जहां जिला कुल्लू की घाटियां हमेशा बर्फ की सफेद चादर से ढकी रहती हैं वहीं इस साल बर्फबारी की कमी से इनपर बर्फ की पतली सी चादर बिछी है जो कि गर्मियां आने से पहले ही साफ हो जाएगी। जानकारों का मानना है कि जिस तरह से जलवायु परिवर्तन हो रहा है, उससे आने वाले समय में लोगों को पानी की दिक्कत से रुबरु होना पड़ेगा। क्योंकि यदि ग्लेशियर रिचार्ज नहीं होंगे तो घाटी में बहने वाली नदियों का जल स्तर भी कम होगा और ऐसे चश्में जिनमें पूरा वर्ष पानी रहता है वह भी सूखने लगेंगे। जिससे इस बार की गर्मियां लोगों के लिए नई मुसिबतें लेकर आएंगी।

ब्यूरो रिपोर्ट कुल्लू

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