भूमि सुधार योजना की किसानों को नहीं मिली मदद

पूजा शांडिल्य। ऊना

चिंतपूर्णी के धार क्षेत्र में खेती का व्यवसाय काफी समय से पिछड़ता जा रहा है। लोग खेती बाड़ी छोड़कर अन्य कामों में आय का साधन खोज रहे हैं, जबकि जमीनें बंजर हो रहीं हैं। बंजर जमीन पर हरियाली लाने के लिए मनरेगा के तहत भूमि सुधार योजना के तहत चिंतपूर्णी विधानसभा में लाखों रुपए की राशि खर्च होती है, लेकिन कर्फ्यू और लाॅकडाउन में छोटे किसान बिना मनरेगा के फंड का इंतजार किए अपने खेतों में पसीना बहा रहे हैं।

वहीं, भूमि सुधार योजना के बारे में बताते चलें कि इस योजना में जिस किसान के पास 2 हेक्टेयर या 52 कनाल जगह होती है, उसे सरकार द्वारा एक लाख रूपए की राशि उपलब्ध कराई जाती है, ताकि वह अपने खेतों को मनरेगा के माध्यम से समतल करा लें, जिससे बंजर पड़ी जमीन पर खेती लहलहा सके। चिंतपूर्णी क्षेत्र में इस स्कीम का फायदा, तो काफी लोगों ने लिया पर एक बार खेत साफ कराने के बाद कुछ लोग खेत में बीज बोना भूल गए और फिर से खेत उसी स्थिति में पहुंच गए।

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लॉकडाउन में किसानों ने अपने कदम खेतों की तरफ माेड़े और काम शुरू कर दिया। पिछले एक डेढ़ महीने में चिंतपूर्णी के धार क्षेत्र में किसानों ने खुद ही कई हेक्टेयर भूमि समतल की गई है। वहीं, बीडीओ अंब अभिषेक मित्तल ने बताया कि भुमि सुधार योजना के तहत सरकार द्वारा छोटे किसानों की मदद की जाती है। मनरेगा के फंड से भूमि सुधार किया जाता है। यह अच्छी बात है कि किसानों ने खुद मेहनत की है यह बाकी के किसानों को भी नसीहत दे रहे हैं।