’लैंडस्लाइड अर्ली वार्निंग सिस्टम’ ने बचाई सैकड़ों लोगों की जान

'Landslide early warning system' saved hundreds of lives
इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी मंडी के इस आविष्कार ने बचाई सैकड़ों लोगों की जान

मंडीः इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी मंडी के वैज्ञानिकों द्वारा ईजात ’लैंडस्लाइड अर्ली वार्निंग सिस्टम’ ने सैकड़ों लोगों की जान बचाने में अहम भूमिका निभाई है। बता दें कि हिमाचल प्रदेश पहाड़ी क्षेत्र होने के कारण यहां मॉनसून में भूस्खलन के मामलों में एकाएक वृद्धि हो जाती है। भूस्खलन के कारण जान व माल के नुकसान से बचाव को लेकर इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी मंडी द्वारा प्रदेश के जिला मंडी, कांगड़ा और किन्नौर में लैंडस्लाइड अर्ली वार्निंग सिस्टम स्थापित किए गए हैं।

वहीं, इस वर्ष मॉनसून के दौरान लैंडस्लाइड अर्ली वार्निंग सिस्टम ने अपनी उपयोगिता बखूबी सिद्ध कर दी है। बीते जुलाई माह में मंडी जिला के कमांद में मूसलाधार बारिश से एक बड़े भूस्खलन की घटना हुई थी। लेकिन संस्थान द्वारा मौके पर स्थापित लैंडस्लाइड अर्ली वार्निंग सिस्टम द्वारा भूस्खलन से पूर्व ही इसकी जानकारी जिला प्रशासन को देकर जान और माल के एक बड़े नुकसान से बचा लिया गया। ऐसा ही उदाहरण बीते जून माह में प्रदेश के किन्नौर जिला में स्थापित लैंडस्लाइड अर्ली वार्निंग सिस्टम द्वारा क्षेत्र की दो जगहों निगुलसेरी और कुप्पा में भूस्खलन से पूर्व अलर्ट जारी कर दिया गया था।

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भूस्खलन से पहले अलर्ट जारी होने पर ट्रैफिक रोकने से मौके पर कोई भी जान और माल का नुकसान नहीं हुआ था। लैंडस्लाइड अर्ली वार्निंग सिस्टम द्वारा विभिन्न क्षेत्रों में लैंडस्लाइड होने से पहले अलर्ट जारी करने को लेकर इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी मंडी द्वारा केस स्टडी की गई है, जिसके नतीजे बेहतरीन प्राप्त हुए हैं।

केस स्टडी के अनुसार, लैंडस्लाइड से पहले सिस्टम द्वारा मोबाईल पर अलर्ट को लेकर समय पर एसएमएस जारी कर दिए गए थे। इस कारण प्रशासन द्वारा समय रहते उचित कदम उठाते हुए नुकसान से बचा जा सका है। इसके अलावा भूस्खलन से 5 दिन पूर्व ही सिस्टम द्वारा अलर्ट के संदेश भेजें जाने शुरू कर दिए गए थे और लैंडस्लाइड होने पर वार्निंग पोल पर स्थापित हूटर और ब्लिंकर द्वारा सही ढंग से कार्य कर ट्रैफिक रोकने का अलर्ट जारी किया गया।

संवाददाताः उमेश भारद्वाज।

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