संत से मानी जाती मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा : ओशो सिद्धार्थ

विनय महाजन। नूरपुर

मीरा जैसे महान भक्त का नूरपुर के बृजराज मंंदिर की कृष्ण प्रतिमा से जुड़ाव के चलते नूरपुर का बृज राज मंदिर मथुुरा, द्वारिका व वृंदावन जैसी तीर्थों के समकक्ष है। यह वाक्य ओशो धारा मैत्री संघ के संस्थापक ओशो सिद्धार्थ ने नूरपुर में बृज राज मंदिर में कृष्ण व मीरा के दर्शनों के पश्चात पत्रकारों से कहे। ओशो सिद्धार्थ ने कहा कि मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा संत से मानी जाती है तथा जिस मूर्ति को मीरा ने अपने भक्ति से प्राण प्रतिष्ठित किया हो, उस मूर्ति में कृष्ण को आना ही पड़ेगा। ओशो सिद्धार्थ ने कहा कि वह मीरा को कबीर, दादू, तुलसीदास जैसे संतोंं के समकक्ष मानते हैं।

मीरा ने अपनी कृष्ण भक्ति से अपने आप को गार्गी, अनुसूया जैसे संतों की श्रेणी में स्थापित किया है। उन्हाेंने कहा कि हर लड़की में क्षमता है कि वह मीरा की तरह संतत्व व बुद्धत्व को प्राप्त कर सके। ओशो सिद्धार्थ ने कहा कि मीरा के कृष्ण के साथ जुड़ाव के कारण इस मूर्ति का महत्व अन्य कृष्ण मंदिरों से अधिक है। और आने वाले समय में इस कृष्ण मंदिर की प्रतिष्ठा वृंदावन व मथुरा जैसे तीर्थों के समकक्ष होगी। केवल इसको राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय पटल पर लाने की जरूरत है। ओशो सिद्धार्थ ने कामना करते हुए कहा कि नूरपुर इस बृजराज मंदिर के चलते एक तीर्थ के रूप में प्रतिष्ठित होगा।