निजीकरण के बाद भी रहेगी जारी रसोई गैस सबसिडी

उज्जवल हिमाचल। नई दिल्ली

पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने शुक्रवार को कहा कि देश के दूसरे सबसे बड़ी खुदरा पेट्रोलियम ईंधन विक्रेता भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड (बीपीसीएल) के निजीकरण के बाद भी उसके उपभोक्ताओं को रसोई गैस सबसिडी मिलती रहेगी। प्रधान ने कहा कि एलपीजी पर सबसिडी सीधे उपभोक्ताओं को दी जाती है और किसी कंपनी को नहीं। इसलिए एलपीजी बेचने वाली कंपनी के स्वामित्व का कोई असर (सब्सिडी पर) नहीं होगा।

सरकार प्रत्येक कनेक्श पर हर वर्ष अधिकतम 12 रसोई गैस सिलेंडर(14.2 किलो गैस वाले) सबसिडी वाली दर पर देती है। यह सबसिडी सीधे उपभोक्ताओं के बैंक खातों में दी जाती है। उपभोक्ता डीलर से बाजार मूल्य पर एलपीजी खरीदते हैं और बाद में सबसिडी उनके खाते में आती है। सरकार तेल विपणन कंपनियों इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन (आईओसी), बीपीसीएल और हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड (एचपीसीएल) के उपभोक्ताओं को सबसिडी देती है।

प्रधान ने कहा कि एलपीजी सबसिडी का भुगतान सभी सत्यापित ग्राहकों को डिजिटल रूप से किया जाता है। उन्होंने कहा कि चूंकि यह उपभोक्ताओं को सीधे भुगतान की जाती है। इसलिए इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि सेवा देने वाली कंपनी सार्वजनिक क्षेत्र की है या निजी क्षेत्र की। उन्होंने कहा कि विनिवेश के बाद भी बीपीसीएल के उपभोक्ताओं को एलपीजी सबसिडी पहले की तरह मिलती रहेगी। सरकार बीपीसीएल में प्रबंधन नियंत्रण के साथ अपनी पूरी 53 प्रतिशत हिस्सेदारी बेच रही है।

कंपनी के नए मालिक को भारत की तेल शोधन क्षमता का 15.33 प्रतिशत और ईंधन बाजार का 22 प्रतिशत हिस्सा मिलेगा। देश के कुल 28.5 करोड़ एलपीजी उपभोक्ताओं में 7.3 करोड़ उपभोक्ता बीपीसीएल के हैं। प्रधान ने कहा कि इन सभी को सरकारी सबसिडी मिलती रहेगी। यह पूछे जाने पर कि क्या बीपीसीएल के उपभोक्ता कुछ वर्षों के बाद आईओसी और एचपीसीएल में स्थानांतरित हो जाएंगे। उन्होंने कहा कि अभी ऐसा कोई प्रस्ताव नहीं है। उन्होंने कहा कि जब हम सीधे उपभोक्ताओं को सब्सिडी का भुगतान करते हैं, तो स्वामित्व उसके रास्ते में नहीं आता।