धान से मंडियां भरी, किसानों के लिए बनने लगीं अभिशाप

किसानों को धान बेचने के लिए करना पड़ रहा लंबा इंतजार

उज्जवल हिमाचल। नूरपुर

प्रदेश के जिला कांगड़ा के निचले क्षेत्र फतेहपुर ,रियाली व मिलबां में किसानों की मांग पर मंडियां तो सरकार ने खोल दीं लेकिन इन्हें धरातल पर चलाना संबंधित विभाग के लिए अब एक चुनौती का विषय बन गया है। मंडियों का भर जाना सरकार और प्रदेश सरकार के लिए खुशी की बात है तो वहीं क्षेत्र के किसानों के लिए यह प्रकरण सिरदर्दी का कारण बन रहा है। इन मंडियों के प्लेटफॉर्म धान से भर चुके हैं। अगर रियाली मंडी की बात करें तो वहां पर क्षमता पूरी होने के बाद किसान अब फतेहपुर धान मंडी की तरफ रुख कर रहे हैं। परंतु वहां भी किसानों के हाथ मायूसी लग रही है।विभाग के मुताबिक धान की सप्लाई ज्यादा आने के कारण मंडियों में अब इससे अधिक धान रखने की क्षमता नहीं है। फतेहपुर अनाज मंडी में खरीद करने वाले खाद्य आपूर्ति विभाग ने तो दो अन्य जगहों पर निजी गोदाम भी किराये पर लिए हुए हैं और वे भी अब भर चुके हैं। मंडियों में फसल से भरी गाड़ियां लगभग एक हफ्ते तक खाली नहीं हो पा रही हैं । उधर किसानों को मंडी के किराये के साथ बारिश का भी डर सता रहा है।

फतेहपुर अनाज मंडी में पहुंचे रियाली के किसान रणवीर सिंह,सुनीत गुलेरिया, साहिल पराशर, अमित चौधरी आदि ने आज बताया कि उनको शुक्रवार को मंडी में आए सात दिन हो गए लेकिन अभी तक उनकी धान की फसल गाड़ियों से नहीं उतारी गई है।फतेहपुर धान मंडी में 31 हजार क्विंटल तो रियाली में 17 हजार क्विंटल तो मिलवां में भी 30 हजार क्विंटल धान पहुंच चुका है। तीनों मंडियों की बात करें तो 78 हजार क्विंटल धान पहुंचने के उपरांत विभाग ने अभी तक मात्र 2500 क्विंटल धान उठाने के आदेश जारी किए हैं जो ऊंट के मुंह में जीरा देने के बराबर हैं। अगर ऐसा ही रहा तो कब किसानों का धान खेतों से उठेगा और कब बिकेगा। मंडियों की बात करें तो मंडियों में बड़े स्तर पर शेड का न होना, धान की सफाई के लिए लगाई गई मशीनों की कमी और खराब होना और धान को उतारने और रखने के लिए बनाया गया प्लेटफाइर्म का छोटा होने के साथ-साथ सबसे बड़ा कारण मंडी में ज्यादा संख्या में बोलियां न होना माना जा रहा है।

संबंधित विभाग ने एक ही एजेंसी को गाड़ी खाली करवाने तथा धान साफ करवाने का जिम्मा दे रखा है। इस मामले में अनाज मंडी प्रभारी सुनील कुमार का कहना है कि समय रहते मंडी से धान का न उठना मुख्य समस्या है। आला अधिकारियों को इस समस्या से अवगत करवाया गया है। धान को स्टोर करने के लिए दो निजी भवनों को भी किराये पर ले लिया गया है। वहीं इस मामले में एक पी एम सी सचिव दीक्षित जरयाल का कहना है कि एपीएमसी का मुख्य कार्य मंडी में सुविधाएं मुहैया करवाना है। धान की सफाई के लिए 12 मशीनें तैयार की गई थीं। हो सकता है उनमें से कुछ खराब हो गई हों। सिविल सप्लाई की असफलता के कारण लिफ्टिंग की समस्या है जो सबसे बड़ा कारण है। हमारे पास सिर्फ दस दिन तक स्टोर करने का प्रावधान है। अतिरिक्त स्टोरेज के लिए संबंधित विभाग को अवगत करवाया है।

इस मामले में जिला खाद्य आपूर्ति एवं नियंत्रक कांगड़ा पुरषोत्तम सिंह का कहना है कि धान उठाने के आदेश जारी किए जा चुके हैं। हमारे पास फिलहाल दो शेलर हैं। जिनमें राजा का बाग को 1500 क्विंटल और ढलियारा को 1000 क्विंटल मिलवा और रियाली मंडी से धान उठाने के आदेश दिए है। वहीं मायूस किसानो ने मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सूकखू से इस समस्या के समाधान हेतु आग्रह किया है कि सरकार इस पर गौर करें।

संवाददाताः विनय महाजन

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