जीपीएस सिस्टम लगाने वाली कई कंपनियां प्रदेश से हुई फरार

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जीपीएस सिस्टम लगाने वाली कई कंपनियां प्रदेश से हुई फरार

हिमाचल प्रदेश में टैक्सियों में जीपीएस सिस्टम लगाना जहां अनिवार्य कर दिया गया है। तो वहीं अब हिमाचल प्रदेश में जीपीएस सिस्टम लगाने वाली कई कंपनियां प्रदेशों से फरार हो गई है। जिससे हिमाचल प्रदेश के करीब एक लाख टैक्सी ऑपरेटरों की मुश्किलें बढ़ गई हैं। वहीं कुल्लू में टैक्सी चालकों ने प्रदेश सरकार पर उन्हें तंग करने का भी आरोप लगाया है। टैक्सी चालकों का कहना है कि पहले ही 15 हजार रुपये की कीमत वाला जीपीएस सिस्टम अपनी टैक्सी में लगा चुके हैं। लेकिन अब वह कंपनी फरार हो गई है। ऐसे में सरकार नया फरमान जारी कर रही है कि वे अब दोबारा से नया जीपीएस सिस्टम अपनी टैक्सी में लगाएं।

जिससे टैक्सी चालक आर्थिक रूप से भी काफी परेशान होंगे। कुल्लू टैक्सी ऑपरेटर यूनियन के चेयरमैन कवींद्र ठाकुर ने बताया कि इसमें टैक्सी चालकों की कोई गलती नहीं है जबकि जीपीएस सिस्टम लगाकर फरार होने वाली प्रदेश सरकार को कार्रवाई करनी चाहिए। टैक्सी चालक पहले ही काफी परेशान है और बार-बार इस तरह से आर्थिक नुकसान उठाना टैक्सी चालकों के बस से बाहर है। कवींद्र ठाकुर ने बताया कि केंद्र सरकार ने भी कई राज्यों में टैक्सी का परमिट 12 साल से बढ़ाकर 15 साल तक कर दिया गया है लेकिन हिमाचल में अभी तक यह नियम लागू नहीं हो पाया है।

ठाकुर का कहना है कि यहां कई ऐसे वाहन हैं जो 18 से 20 साल पुरानी है और कई ऑटो 20 स 25 साल पुराने हैं जो परमिट पर चल रहे हैं। लेकिन शायद टैक्सियों के लिए ही यह नियम बना है कि उनका परमिट 12 साल तक की दिया जा रहा है। कवीन्द्र ठाकुर ने कहा कि अब प्रदेश में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं और टैक्सी चालकों को अगर सरकार के द्वारा इसी तरह तंग किया जाता रहा। तो आने वाले समय में प्रदेश सरकार को भी इसके गंभीर परिणाम भुगतने होंगे। ऐसे में प्रदेश सरकार से आग्रह है कि वह टैक्सियों का परमिट 12 साल से बढ़ाकर 15 साल करें और जीपीएस सिस्टम मामले में भी टैक्सी चालकों के हक में ही फैसला दे।

संवाददाताः मनीश ठाकुर।

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