चमोली की सुरंग में चिली जैसे 69 दिन वाले चमत्कार की उम्मीद

दस साल पहले मलबे में दबे 33 लोगों को जिंदा निकाला गया था

उज्जवल हिमाचल। डेस्क

वो 34 लोग चमोली की उस 1.6 किलोमीटर लंबी सुरंग में रविवार सुबह से फंसे हुए हैं। 25 फुट चौड़ी और करीब इतनी ही ऊंचाई वाली इस सुरंग में अबतक मलबा ही मलबा भरा मिला है। राहत और बचाव में जुटे कर्मचारी इस कोशिश में हैं कि जल्द से जल्द मलबे को हटाकर उनतक पहुंचा जा सके। हर गुजरते पल के साथ उनके जिंदा होने की संभावना भले ही कम हो रही हो, लेकिन मन में किसी चमत्?कार की आस बढ़ती जाती है। शॉशैंक रेडेम्शन फिल्म में ऐंडी डूफ्रेंस का किरदार कहता है, उम्मीद एक अच्छी चीज है, शायद सबसे अच्छी चीजों में से एक… और कोई अच्छी कभी मरती नहीं। ये उम्मीद इसलिए भी है क्योंकि दुनिया ने पहले भी सुरंगों के भीतर ऐसे रेस्क्यू मिशन देखे हैं, जब भीतर फंसे लोगों के जिंदा बच निकलने की कोई उम्मीद नहीं थी, मगर वो निकले और सही-सलामत बाहर निकले। चमोली की सुरंग में भी हमें वैसे ही चमत्कार की उम्मीद है जो हमने 2010 में चिली में देखी और 2016 में चीन में।

ज्यादा वक्त नहीं गुजरा… करीब साढ़े दस साल पहले की बात है। 5 अगस्त 2010 को चिली में कॉपर-सोने की एक खदान का एक हिस्सा अचानक टूटकर गिर गया। 33 लोग जमीन से करीब 700 मीटर नीचे फंसे गए। वो जहां फंसे थे, वो जगह खदान के मुहाने से लगभग 5 किलोमीटर दूर थी। उनके जिंदा बच निकलने की उम्?मीद बड़ी कम थी। शुरू में खदान के मालिकों ने रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया मगर फिर सरकारी कंपनी ने ऑपरेशन शुरू किया। तलाश में बोरहोल्स किए गए। हादसे के 17 दिन एक नोट हाथ लगा जिसमें लिखा था, शेल्टर में हम ठीक हैं, सभी 33 लोग।