पंकज शर्मा। ज्वालामुखी
प्रसिद्ध शक्तिपीठ ज्वालामुखी मंदिर में वर्षों से चली आ रही परंपरा के अनुसार आज मां ज्वाला का ‘प्रकटोत्सव’ सादगी से मनाया जा रहा है। आज रात्रिकालीन माता ज्वाला का बिशेष पूजन होगा। मान्यता है कि मां ज्वाला आज ही के दिन इस स्थान पर ज्योति के रूप में प्रकट हुई थीं। ‘प्रकटोत्सव’ के दौरान मंदिर पुजारी व आचार्य द्वारा रात्रिकालीन विधिवत पूजा अर्चना की जाएगी। इसी के साथ नवमी के दिन गुप्त नवरात्रो के समापन पर हवन यज्ञ मन्दिर में भी किया जाएगा। गुप्त नवरात्रो के समापन और ज्वाला माँ के जन्मदिन के उपलक्ष्य पर पुजारी वर्ग ही पूजा अर्चना कर रहा है और सूक्ष्म व साधारण तरीके से जन्मदिन मनाया जा रहा है। इस वार वैश्विक महामारी के कारण होने वाले भंडारे को भी स्थगित कर दिया गया है।
पुजारी अविनेन्द्र शर्मा का कहना है कि हर वर्ष की भांति इस बार भी परम्परा निभाते हुए मां ज्वाला का ‘प्रकटोत्सव’ वैश्विक महामारी कोरोना के कारण साधारण तरीके से रात्रिकालीन बिशेष पूजन द्वारा मनाया जा रहा है। माता ज्वाला सभी भक्तो की मनोकामना पूर्ण करेगी तथा वैश्विक महामारी का नाश करेगी। कांगड़ा घाटी स्थित ज्वालामुखी शक्तिपीठ की मान्यता 51 शक्तिपीठों में सर्वोपरि मानी गई है। इन पीठों में यही एक ऐसा शक्तिपीठ है, जहां मां के दर्शन साक्षात ज्योतियों के रूप में होते हैं। शिव महापुराण में भी इस शक्तिपीठ का वर्णन आता है। जब भगवान शिव माता सती को अग्निकुंड से निकालकर पूरे ब्रह्मांड में घूम रहे थे तो भगवान विष्णु के सुदर्शन चक्र से कटकर सती की जीव्हा इस स्थान पर गिरी थी। इससे यहां ज्वाला ज्योति रूप में यहां दर्शन देती है। अकबर का भी घमंड मां ज्वाला ने यहां चूर चूर किया था और भोजक वंशज आज भी यहाँ पर माता का पूजन, जप व अनुष्ठान करते आ रहे हैं