घडोह में नरैण दास शर्मा की जयंती पर विशेष कार्यक्रम का आयोजन

स्कूल में अदम्य साहस और वीरता का गुणगान, बच्चों ने प्रस्तुत किए कार्यक्रम

उज्जवल हिमाचल। नादौन

नरैण मैमोरियल पब्लिक स्कूल घडोह में नरैण दास शर्मा की जयंती पर विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया गया। स्कूली बच्चों ने नरैण दास शर्मा की प्रतिमा पर फूल मालाएं अर्पित की। स्कूल की प्रधानाचार्या सुमन शर्मा ने नरैण दास शर्मा की जीवनी पर प्रकाश डाला। विद्यालय की प्रधानाचार्या सुमन शर्मा  ने बच्चों को बताया कि लेफ्टिनेंट नरैण दास शर्मा का जन्म गलोड के गांव सरोठी में पिता दसौंधी राम और माता मानापरी के घर पर हुआ था। वह महज 18 वर्ष की आयु में  वे फर्स्ट बटालियन( प्रिंस ऑफ़ वेल्स ओन) 17 वीं डोगरा रेजिमेंट  में 1917 में  सैनिक के रूप में शामिल हुए। 8 जून 1937 की उनके अदम्य साहस, वीरता, अनुशासन और विश्वास व अच्छे कार्यों के लिए महामहिम राजा जार्ज भारत के सम्राट उन्होंने भारतीय भूमिबलो में उन्हें कमीशंड अधिकारी बनाया।

शर्मा ने अपनी बटालियन के साथ द्वितीय विश्व युद्ध के विभिन्न रेस्क्यू आप्रेशनों में अपनी रेजिमेंट का नेतृत्व किया।लिया। जिसके लिए उन्हें (“वाॅर मेडल” और “कैम्पेन स्टार “से सम्मानित किया गया। उन्हें 24 फरवरी 1942 को अपने 17 अधिकारियों सहित  सीटांग नदी के किनारे रंगून जेल में जापानी सेना द्वारा वर्मा (म्यांमार )में बंधक बना लिया। यहां से वे एयर छापों के दौरान जापान संतरियों की सख्त निगरानी में भी अपने सभी साथी 17 अधिकारियों को सुरक्षित बाहर निकालने में सफल रहे। 2 साल बाद, सितंबर 1944 में उन्होंने सफलतापूर्वक 17 अन्य कैदियों के साथ पैदल भारत आने का प्रयास किया।

नरैण दास शर्मा की बहादुरी, अदम्य साहस, बफादरी और  इस साहसिक कार्य के लिए  भारत सरकार ने उन्हें “मिलिटरी मेडल” से सम्मानित किया। 31 अगस्त 1944 को उनकी बहादुरी और अद्वितीय सेवा, प्रदर्शन और उपलब्धियों के लिए उन्हें लेफ्टिनेंट के पद के लिए प्रमोट किया गया। स्कूल के चेयरमैन ओम प्रकाश शर्मा ने नरैण दास शर्मा की प्रतिमा पर फूल मालाएं अर्पित  की और उन्हें याद किया। बच्ची ने इस अवसर  पर सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किए। इस मौके पर सारा  स्कूल स्टाफ उपस्थित रहा।

संवाददाताः एमसी शर्मा

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