मनीष ठाकुर। कुल्लू
ग्रामीण इलाकों में जहां महिलाएं रक्त संबंधी समस्याओं से जूझ रही होती है। वही उम्र के बढ़ने के साथ-साथ उन्हें कई बीमारियां भी घेर लेती हैं। लेकिन समाज में कुछ महिलाएं ऐसी भी हैं जो उम्र बढ़ने के साथ-साथ अपने साथ समाजसेवा का जज्बा लिए होती हैं। इन्हीं महिलाओं में से एक है नीलम ठाकुर, नीलम ठाकुर अपनी उम्र के बढ़ने के साथ-साथ समाजसेवा के क्षेत्र में भी तेजी से कार्य कर रही है। जिला कुल्लू के मोहल की रहने वाली नीलम ठाकुर एक और जहां योगा सिखा कर महिलाओं को शारीरिक रूप से मजबूत बना रही है तो वहीं रक्तदान कर वे कहीं अनमोल जिंदगियों को बचाने में भी जुटी हुई है। 42 साल की महिला नीलम ठाकुर अपने जीवन में अभी तक 24 बार रक्तदान भी कर चुकी है। हालांकि नीलम ठाकुर की यह कहानी कोई पुरानी नहीं है। साल 2011 में नीलम ठाकुर ने अपने जीवन का पहला रक्तदान किया था और लगातार नियमित रूप से रक्तदान करते हुए उन्हें 9 साल बीत गए हैं।
- योगा की शक्ति से दी महिलाओं को हिम्मत
अखबारों में खून ना मिलने के चलते जूझ रही कई जिंदगियों की हेडलाइन पढ़कर नीलम ठाकुर ने भी यह प्रण लिया था और वह आज भी इस प्रण को लगातार निभाती चली जा रही हैं। नीलम ठाकुर का कहना है कि पहली बार रक्तदान देने के लिए उन्हें काफी दिक्कतें का सामना करना पड़ा। उन्हें ना तो इस काम के लिए अपने परिवार का सहयोग मिला और ना ही उन्हें इस बारे में कोई जानकारी थी। एक दिन जब उन्हें पता चला कि कुल्लू अस्पताल में किसी मरीज को रक्त की कमी है तो वे अपने पति को लेकर कुल्लू अस्पताल पहुंच गई। लेकिन उस दिन उनका जन्मदिन भी था और उनके पति भी इस बात पर खासे नाराज रहे कि वे अपना जन्मदिन मना कर खराब मौसम में भी मनाली से कुल्लू की ओर चली गई। जैसे तैसे वे कुल्लू अस्पताल पहुंचे और उन्होंने रक्त देकर एक जिंदगी को बचा लिया लेकिन उनका वह दिन काफी खराब रहा। उनके इस निर्णय के चलते उनका परिवार कुछ समय तो उनसे नाराज रहा लेकिन नीलम ठाकुर की दृढ़ इच्छा को देखते हुए वे भी अब उनका साथ देने लग पड़े। आज हालात यह है कि नीलम ठाकुर को अपने पति, बेटी व बेटे का पूरा सहयोग मिलता है जिसके चलते वह अपने घर के कार्यों के साथ-साथ सामाजिक कार्यों के लिए भी समय निकाल लेती है। नीलम ठाकुर महिलाओं को ड्राइविंग सिखाने का भी शौक रखती है।
- रक्तदान किसी को जीवनदान देना है, महिलाएं भी इस कार्य में आगे आएं
नीलम ठाकुर का कहना है कि समाज में कुछ महिलाएं ड्राइविंग सीखना तो चाहती है लेकिन हर बार चालक के पुरुष होने के चलते वे झिझक महसूस करती है। महिलाओं की झिझक को दूर करने के लिए वह 1 साल में 5 महिलाओं को भी गाड़ी चलाना सिखा चुकी है। नीलम ठाकुर का कहना है कि महिलाएं रक्तदान के क्षेत्र में बहुत कम आगे आती है तो ऐसे में उन्होंने भी महिलाओं को इस क्षेत्र में आगे लाने की दिशा के चलते यह काम शुरू किया है। वहीं उन्होंने महिलाओं से भी आग्रह किया है कि रक्तदान किसी को जीवनदान देना है और महिलाएं भी इस कार्य में आगे आएं। ताकि वे भो किसी जिंदगी को बचाकर अपने जीवन में उत्साह भर सके।