उज्ज्वल हिमाचल। नूरपुर
नूरपुर के विधायक रणवीर सिंह निक्का ने पिछले माह प्राकृतिक आपदा के कारण नूरपुर विधानसभा की 4 पंचायतों में हुई तबाही का मामला विधानसभा में उठाया। उन्होंने कहा कि नूरपुर क्षेत्र में कुल 35 घर लैंडस्लाइड के कारण तबाह हो गए। जिसमें पुन्दर ग्राम पंचायत में 10 घर, पँचायत लदोड़ी में 11 घर, मिंजग्रा पँचायत में 8 घर, छोटी धार में 3 घर, डन्नी पँचायत में 3 घर आते है। उन्होंने कहा कि घरों के साथ साथ लोगों की जमीनें भी खत्म हो गयी।
उन्होंने कहा कि घरों के खत्म होने से वेघर लोग टैंटों व लोगों के घरों में रहने को मजबूर है। निक्का ने कहा कि पक्के घरों के अलावा क्षेत्र में 150 कच्चे घर भी ढह गए। जिसकी रिपोर्ट स्थानीय प्रशासन को भेज दी गयी है। निक्का ने क्षेत्र की सड़कों का मुद्दा भी विस में उठाया। उन्होंने कहा कि हाथी धार पँचायत के टिका नगरोटा से हाथी धार सड़क काफी समय से बंद है जिसके कारण बच्चों के लेकर बजुर्गाे को काफी परेशानी हो रही है। वहीं भडवार से लदोड़ी सड़क, मिलख- खज्जन वाया हटली, पक्का टियाला से बरंडा सड़क भारी बरसात के कारण खराब हो गए है।
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निक्का ने मुख्यमंत्री तथा लोकनिर्माण विभाग मंत्री से मांग की की नूरपुर में उक्त मुद्दों पर बजट का प्रावधान किया जाये। निक्का ने कहा कि प्राकृतिक आपदा के कारण प्रदेश के कई जिलों में लोगों के घर टूट गए है, सड़के टूट गयी है लेकिन पिछले 1 माह से सरकार ने स्टोन क्रशर बंद किये है। उन्होंने कहा कि जिला कांगड़ा, हमीरपुर, ऊना, मंडी, कुल्लू में लगभग 128 स्टोन क्रशर बंद पड़े है। उन्होंने कहा कि बिना निर्माण सामग्री के लोग न तो घर बना सकेंगे और न ही सड़के बन सकेंगी। निक्का ने कहा कि प्रदेश सरकार द्वारा 16 सितंबर तक प्रदेश में सड़को तथा नए निर्माण पर प्रतिबंध लगाया गया था लोगों ने इंतजार भी किया।
लेकिन अभी तक स्टोन क्रशर बंद है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में थोड़े समय बाद बर्फ का सीजन शुरू हो जाएगा। ऐसे में यदि लोग अभी निर्माण कार्य शुरू नहीं कर पाए तो आगे मुश्किल होगीं। निक्का ने कहा कि 128 स्टोन क्रशर यूनिट बंद होने से लगभग 12800 लोग बेरोजगार हो गए है। जिला कांगड़ा में 500-600 टिप्पर मालिक जिन्होंने बैंकों से ऋण लेकर गाड़िया ली है, एक माह से खड़ी है। अतः मुख्यमंत्री को प्रदेश को आगे बढ़ाने के लिए इस गम्भीर मुद्दे पर जल्द से जल्द निर्णय लेना चाहिए। उन्होंने सरकार से निवेदन किया कि अगर सरकार आपदा के मामले में स्पेेेशल सदन बुुुलाती तब सदन के सभी विधायक इस विषय केंद्र सरकार से विचार विमर्श करते। लेकिन ऐसा सरकार नहीं किया।