उज्जवल हिमाचल। डलहौजी
स्थानीय निरंकारी सत्संग भवन बनीखेत में साप्ताहिक सत्संग का आयोजन किया गया। जिसमें सुरगाणी ब्रान्च के मुखी महात्मा सुरेन्द्र शर्मा ने प्रवचन करते हुए फरमाया कि जिसकी भक्ति जिसकी पूजा उसका ज्ञान जरूरी है। कहे हरदेव कि पहले ईश्वर की पहचान जरुरी है। तात्पर्य यह कि ईश्वर को साकार रूप मे देखने के लिये एक अलौकिक उस दिव्य दृष्टि की आवश्यकता होती है जो केवल सतगुरु की कृपा से ही प्राप्त होती है। हम बहुत ही भाग्यशाली हैं कि ईश्वर निराकार और साकार दोनो रूपों मे हमारे अंग-संग रहते हैं। उन्होंने कहा कि भक्ति का अर्थ है भगवान को याद करना, अपनी रोजमर्रा की गतिविधियों को करते समय हर पल उनकी उपस्थिति को महसूस करना और इस प्रकार इसे अपना स्वभाव बनाना।