8 दिसंबर को खुलेगें किस्मत के पिटारे-किसके सर सजेगी जीत, किसकी होगी हार !

On December 8, the boxes of luck will open – whose head will be victorious, who will be defeated!
8 दिसंबर को खुलेगें किस्मत के पिटारे-किसके सर सजेगी जीत, किसकी होगी हार !

नूरपुर: जैसे-जैसे मतगणना के दिन नजदीक आ रहे हैं। वैसे-वैसे विधानसभा चुनाव लडने वाले कैंडीडेटों के चेहरों से रंगत गायब होती जा रही है। दोनों सियासी पार्टीयां इस चुनाव में गुटबाजी व भीतरघात ही शिकार रहीं है। जो सियासी दिग्गज कैंडीडेटों की जीत का समीकरण बिगाडने का प्रयास करेगीं।

मतदाताओं की चुप्पी व खामोशी की नब्ज को सियासी पार्टी का कोई भी कैंडीडेट नहीं टटोल सका। मतदान परिणाम तक जनता चुप्पी साधे हुुए थी। मतदान के बाद हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस व भाजपा के अनेकों कैंडीडेटो ने अपनी जीत को सुनिश्चित करने का दावा किया था लेकिन उन कैंडीडेटों ने आखिरकार अब चुप्पी साध कर हार-जीत का फैसला भगवान पर छोड दिया है।

हिमाचल प्रदेश मे दो सियासी पार्टियों की जंग हर साल की तरह इस बार भी बडी रचनात्मक रही है। लेकिन इन चुनावों मंे भाजपा के शान्ता कुमार व धूमल जैसे शीर्ष नेताओं ने भी पार्टी के कैंडीडेटों से लिए कोई खास प्रचार नहीं किया। जिसका भी रोष हिमाचल प्रदेश में मतदाताओं के अन्दर काफी दिखाई दिया।

हिमाचल प्रदेश में भाजपा ने यह चुनाव पार्टी के शीर्ष नेता प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी व भारत के होम मिनिस्टर अमित शाह व पार्टी के राष्टीय अध्यक्ष जे पी नड्डा जो पार्टी के इस समय स्तम्भ है। इनके वलबूते पर यह चुनाव मुख्य रूप से पहली बार लडा गया। मुख्यमंत्री ज़यराम ठाकुर तो केवल हिमाचल प्रदेश मे भाजपा के मुख्यमंत्री का चेहरा थे। केंद्र के शीर्ष नेता हिमाचल प्रदेश में भाजपा की गुटबाजी को इस चुनाव में खत्म नहीं कर सके।

पार्टी राष्टीय अध्यक्ष जे पी नड्डा भी हिमाचल प्रदेश में भाजपा की गुटबाजी को खत्म करने में सफल नहीं हो सके। भाजपा की गुटबाजी व भीतरघात ही पार्टी के मिशन रिपिट में सबसे बडी अडचन हो सकती है। हिमाचल प्रदेश में यह चुनाव भाजपा इस बार कांगेस से नहीं पार्टी के अन्दर अपने ही कुनबे से लड रही थी। कांगेस पार्टी के पास कोई शीर्ष नेता नहीं था। लेकिन भाजपा की तर्ज पर कांगेस सुप्रीमो प्रियंका गांधी के नाम पर लड रही थी।

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राहुल गांधी इन चुनावो में हिमाचल प्रदेश मे नहीं आऐ। दूसरी तरफ हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस पार्टी को वीरभद्र सिंह की सहानभूति लहर का लाभ चुनाव में मिल सकता है। निचले हिमाचल प्रदेश में कांगेस को काफी मशक्कत करनी पडी। लेकिन जिला कांगड़ा व चंबा में कांग्रेस पार्टी को अधिक सीट मिलने की उम्मीदें है। हिमाचल प्रदेश में नई सरकार का गठन कांगड़ा, मंडी व चंबा जिला करेंगे।

हमीरपुर, बिलासपुर में कांग्रेस व भाजपा का हार-जीत का रिमोट भीतरघातियों व आजाद कैंडीडेटों पर निर्भर होगा। अपर हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस पार्टी की जीत का रिमोट वीरभद्र सिंह की सहानभूति लहर पर निर्भर है। कांग्रेस पार्टी अपनी जीत का दावा सरकारी मुलाजिम व पेशनरों की समस्याओं को लेकर व महिला वोट बैंक व युवा बेरोजगार व सैनिकों पर कर रही है।

परिणाम चाहे कुछ भी हो लेकिन यह चुनाव कई दिग्गजों की राजनीती भविष्य का फैसला करेगा। राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा का ऱाजनीति भविष्य भी तय करेगा क्योंकि जेपी नड्डा हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर के निवासी है। वहीं केन्द्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर का भविष्य भी तय करेगा।

काबिले गौर है कि सुजानपुर विधानसभा सीट पर कांग्रेस पार्टी के कैंडीडेट राजेन्द्र राणा काफी मजबूत जीत का लिए बताए जा रहे हैें। जबकि कांग्रेस के कैंडीडेट सुक्खू की सीट पर मुकाबला कडा है। लेकिन हार जीत का फैसला आजाद कैंडीडेट पर निर्भर है। वहीं मुकेश की हार जीत का फैसला हरौली से मतदाताओं पर निर्भर है कि उन्हे कैसी विधायक चाहिए।

संवाददाताः विनय महाजन

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