शिव मंदिर बैजनाथ में मकर सक्रांति के उपलक्ष्य पर सवा दो क्विंटल देसी घी से सजेगा धृत्त मंडल

On the occasion of Makar Sakranti in Shiv Mandir Baijnath, Dhrit Mandal will be decorated with 2.5 quintal desi ghee
शिव मंदिर बैजनाथ में मकर सक्रांति के उपलक्ष्य पर सवा दो क्विंटल देसी घी से सजेगा धृत्त मंडल

उज्जवल हिमाचल। बैजनाथ
ऐतिहासिक शिव मंदिर बैजनाथ में मकर संक्रांति के अवसर पर सवा दो क्विंटल शुद्ध घी का माखन बनाकर शिवलिंग पर चढ़ाया जाएगा। यह निर्णय सहायक आयुक्त मंदिर एवं तहसीलदार डॉ. भावना वर्मा की अध्यक्षता में मंदिर सभागार में आयोजित बैठक में लिया गया। जिसमें विभिन्न विभागों के अधिकारी उपस्थित रहे।

मंदिर में मक्खन बनाने की प्रक्रिया 10 जनवरी से 13 जनवरी तक चलती रहेगी तथा 14 जनवरी को सांय कालीन आरती के पश्चात् घृत मंडल शिवलिंग पर चढ़ाया जाएगा। जो 20 जनवरी तक शिवलिंग पर चढ़ा रहेगा। इस घृत मंडल को तैयार करनेे के सूखे मेवे तथा फलों का उपयोग किया जाएगा।

21 जनवरी को इस घृत मंडल को शिवलिंग से हटाकर प्रसाद के रूप में श्रद्धालुओं को बांटा जाता है। जिसे लोग संभाल कर रखते हैं तथा इसका उपयोग चर्म रोग को ठीक करने केे लिए करतेे है। मंदिर गर्भ की सजावट प्राकृतिक फूलों से की जाएगी।

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वहीं मंदिर में 20 जनवरी को तारा रात्रि के अवसर पर जागरण का आयोजन किया जाएगा तथा 21 जनवरी को विशाल भंडारे का आयोजन भी किया जाएगा। सभी विभागों को घृतमंडल के अवसर पर उनके कार्यों को लेकर निर्देश जारी कर दिए गए हैं। अगर कोई दानी सज्जन घृत मंडल के लिए शुद्ध की मंदिर में चढ़ाना चाहता है तो वह मंदिर कार्यालय व पुजारियों से संपर्क कर सकता है।

सहायक उपायुक्त एवं तहसीलदार डॉक्टर भावना वर्मा का कहना है कि इस बार सवा दो क्विंटल शुद्ध घी के माखन से घृत मंडल तैयार किया जाएगा।

ऐसी है मान्यताः-
मकर सक्रांति पर देशी घी का लेप किए जाने को लेकर अलग अलग कथाएं प्रचलित हैं। कुछ चिकित्सकों की माने तो सात दिन तक पवित्र शिवलिंग पर लेप होने व 108 वार ठंडे पानी से धोने तथा मेवों के साथ रहने के कारण से यह घी औषधी का रुप धारण कर लेता है और चर्म रोगों के निवारण के लिए सहायक रहता है।
वहीं कुछ चिकित्सकों का मानना है कि यह माखन बतौर मॉइश्चराइजर के काम आता है, चर्म रोगों पर लगाना केवल भगवान के प्रति आस्था है। सुरिंद्र आचार्य के अनुसार मंडी रियासत के राजा चंद्र सेन ने भगवान शिव के दर्शन किए और उनके मन में शिवलिंग को मंडी ले जाने की इच्छा पैदा हुई।


राजा चंद्रसेन ने इच्छापूर्ति के लिए भगवान शिव का रुद्राभिषेक किया और इस दौरान राजा अचेत हो गए। अचेत स्थिति में राजा को सपना आया कि ऐसा करने पर उसकी रियासत का विनाश हो जाएगा।

इसका प्रायश्चित करने के लिए राजा ने हर वर्ष एक मन घी से लेप करने का वचन दिया। राजा के न रहने पर स्थानीय लोग दो तीन किलो घी से लेप करने लगे और वर्तमान में यह क्विंटलों तक पहुंच गया है।

संवाददाताः शुभम सूद

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