राम राज्य की और अग्रसर हो रहा हमारा देश

उज्ज्वल हिमाचल। धर्मशाला

प्रदेश में मौसम लगातार साफ बना हुआ है। देश के मैदानी इलाकों में घना कोहरा और कड़कड़ाती ठंड पड़ रही है तो वही पहाड़ों पर मौसम साफ होने से खिलखिलाती धूप निकल रही है। ऐसे में बर्फ के दीदार के लिए पहाड़ों की रानी शिमला पहुंच रहे पर्यटकों को निराशा हाथ लग रही है।

नए साल में पहाड़ों की रानी शिमला पर्यटकों से गुलजार है। तापमान सामान्य से ज्यादा ही चल रहे हैं जिससे दिन के समय लोगों को ठंड का कोई ज्यादा एहसास नहीं हो रहा। रिज पर पहुंचने पर लोग आइसक्रीम का लुत्फ उठा रहे हैं। लोगों को उम्मीद थी कि नए वर्ष में शिमला में बर्फ देखने को मिलेगी लेकिन शिमला पहुंचे पर्यटकों का कहना है कि शिमला ज्यादा ठंड मैदानी क्षेत्रों में पड़ रही है। दिल्ली पंजाब, हरियाणा से आए पर्य…

भाजपा किसान मोर्चा के प्रदेश प्रवक्ता कुलदीप शर्मा ने कहा कि देश में सबको 22 जनवरी का इंतजार है। जैसे-जैसे 22 तारीख नजदीक आ रही है, वैसे-वैसे देशवासियों की अधीरता बढ़ती जा रही है। वक्त काटे नहीं कट रहा है। हर सनातनी और राष्ट्रवादी देशवासी उस घड़ी का साक्षी बनने को आतुर है, जब अयोध्या के श्रीराम मंदिर में श्रीराम लला की प्राण प्रतिष्ठा होगी। सनातन संस्कृति के आस्थावान इस अवसर को दिव्य, अद्भुत, अलौकिक तथा देश के सम्मान की पुनस्र्थापना का मार्ग प्रशस्त करने वाला मान रहे हैं। आशा की जा रही है कि श्रीराम लला के अयोध्या में विराजमान होने के बाद भारत फिर से राम राज्य बनने की ओर अग्रसर होगा।

जिस प्रकार दीपावली पर्व और स्वाधीनता दिवस से पहले हुआ करता है। देश का हर नागरिक इस दिन दीप प्रज्ज्वलित करने के लिए तत्पर है। सनातन धर्म और संस्कृति मे यह कोई साधारण दिन नहीं है और न ही आसानी से देखना नसीब हो रहा है। यह कई पीढिय़ों द्वारा सदियों तक किए गए प्रयासों-संघर्षों का परिणाम है। श्रीराम के प्रयोजन के लिए जिन लोगों ने अपना सर्वस्व कर दिया, यह उन हुतात्माओं के बलिदान का प्रतिफल है।

अयोध्या में बना यह मंदिर देश के लिए सिर्फ पूजास्थल नहीं है बल्कि यह हमारे लिए तप, त्याग और संकल्प प्रतीक और प्रेरणापुंज बनने जा रहा है। इसकी वजह साफ है-श्रीराम का यह भव्य मंदिर जिस आंदोलन की बदौलत आकार ले पाया है, वह अर्पण, तर्पण और संकल्प से ओत-प्रोत आंदोलन था। उसी अर्पण, तर्पण और संकल्प की बदौलत ये मंदिर कोटि-कोटि लोगों की सामूहिक संकल्प शक्ति और हमारे राष्ट्र का प्रतीक बनने जा रहा है। जन मान्यता है कि इसी मंदिर में श्री रामलला के विराजित होने के उपरांत राम राज का शिलान्यास भी हो जाएगा। उस राम राज की आधारशिला रखी जाएगी, जिसकी परिकल्पना न जाने कब से हम भारत के लोग कर रहे हैं। सदियों की प्रतीक्षा समाप्त होने जा रही है। राम राज की परिकल्पना के साकार होने का वक्त नजदीक आ रहा है।

यह भी पढ़ेंः धरना दो और सैलरी लो ये है सुक्खू सराकर का नया व्यवस्था परिवर्तन

अभी हम जिस कालखंड में जी रहे हैं, वह भारत के लिए क्रांतिकारी, गौरवशाली और बड़े सकारात्मक बदलावों का कालखंड है। पूरी दुनिया हमारी संस्कृति को मान रही है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, विश्व हिंदू परिषद समेत सौ से ज्यादा संस्थाएं समाज को जाग्रत कर रही हैं। निश्चय ही आने वाला समय अच्छा समय है, इसमें श्रीराम मंदिर मील का पत्थर बनने जा रहा है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने तो अगले पच्चीस सालों में मंदिर से राम राज की यात्रा का शुभारंभ करने की तैयारी शुरू की है। इसके लिए संघ की एक महत्ती योजना है, जिसके तहत संघ अगले पच्चीस सालों में ऐसे सशक्त भारत का निर्माण करना चाहता है जिसकी बदौलत भारत एक बार पुन: विश्व गुरु बने।

वर्ष 2047 में देश की आजादी के एक सौ वर्ष पूरे होने के अवसर पर उसे साकार करने के लिए केन्द्र बिंदू राम का मंदिर है और संघ समाज की सभी संस्थाओं को राम राज्य की परिकल्पना के अनुरूप संवैधानिक आगामी पच्चीस सालों में प्रत्येक व्यक्ति का हृदय ऐसा हो, जिसमें श्रीराम स्वयं बसें और प्रत्येक व्यक्ति अपने व्यक्तिगत एवं पारिवारिक जीवन की रचना इसी के अनुरूप करे।

आज यह सब करने की जरूरत इसलिए पड़ रही है क्योंकि अतीत मेंं समय चक्र कुछ ऐसे चला, जिससे आसुरी शक्तियां हावी हो गईं। विदेशी आक्रांताओं की वजह से एक लंबे कालखंड तक देश में प्रतिकूल हालात बने रहे। श्रीराम को भला किस प्रकार मिटा पाते। उस राम को कैसे मिटाते, जो कण-कण में हैं, हर जन के हृदय में हैं। लेकिन जिस प्रकार काले बादलों का अंधेरा छंटने पर सूर्य की सप्त रश्मियां वातावरण को फिर से जगमग कर देती हैं, उसी प्रकार राम मंदिर की बदौलत देश में सुख, शांति, समृद्धि, वैभव की जगमगाहट होना तय हो गया है।

महज मोदी विरोध के लिए कुछ राजनीतिक दल श्रीराम मंदिर पर प्रश्नचिन्ह खड़ा कर रहे हैं। ऐसे जनाधार विहीन दलों के मुट्ठी भर नेताओं को समझना चाहिए कि राम का मंदिर किसी एक व्यक्ति अथवा पार्टी का नहीं है। यह ऐसी राष्ट्रीय धरोहर है, जिससे करोड़ों लोगों की आस्था जुड़ी है। राम तो घट-घट में हैं। राम किसी एक के नहीं, सबके हैं। समूचे संसार के हैं। भारतवर्ष में करोड़ों लोगों की आस्था के केन्द्र राम हैं तो चीन, इरान, थाईलैंड, मलेशिया व कम्बोडिया में भी श्रीराम कथा एवं प्रसंगों का विवरण मिलता है।

यह धारणा बलवती हो रही है शास्त्रों में उल्लेख इस बात का है कि कोई गरीब व दु:खी न हो, यह राम राज का उद्देश्य था। श्रीराम का संदेश यह था कि नर-नारी को समान भाव से सुख मिले और बुजुर्गों व बच्चों की सदैव रक्षा हो। श्रीराम का मार्ग मानवता का मार्ग है। जब-जब हम श्रीराम के मार्ग पर चले हैं तो सुख का विस्तार हुआ है, समृद्धि ने पांव पसारे हैं और विकास ने बाहें फैलाई है क्योंकि राम हमारी संस्कृति के आधार हैं। वह हमारे राष्ट्र की मर्यादा और मर्यादा पुरुषोत्तम हैं। हमारी तो हर सुबह ‘राम-राम’ से होती है। हमारा तो हर काम ही राम आसरे होता है। हमें तो प्रेरणा भी प्रभु श्रीराम से ही मिलती है।

हिमाचल प्रदेश की ताजातरीन खबरें देखने के लिए उज्जवल हिमाचल के फेसबुक पेज को फॉलो करें