धान की मंडियों के बुरे हाल, कई भरी गाडियां खाली होने का कर रहीं इंतजार

उज्जवल हिमाचल। नूरपुर

प्रदेश के किसान जाएं तो जाएं कहां, यह सबसे बड़ा सवाल आज जिला कांगड़ा के किसानों के लिए अपनी धान की फ़सल बेचने के लिए बन चुका है। मंडियों के आज की ताजा हालातों से अवगत करवाएं तो रियाली मंडी का प्लेटफॉर्म धान से भर चुका है। अगर बात कांगड़ा जिले के ऊपरी क्षेत्र की करें तो शाहपुर कांगड़ा के आसपास के किसानों के धान से भरे 8 ट्रकों के साथ कुल 18 माल वाहक वाहन ट्रेक्टरों सहित मंडी परिसर में आज भी पिछले पांच-छे दिनों से खाली होने का इन्तजार कर रहे हैं जबकि इनके इलावा अन्य किसान टोकन लगने का इन्तजार कर रहे हैं उनकी फ़सल अभी भी खेतों में पड़ी हुई हैं। अपनी फ़सल बेचने में हो रही दिक्क़त पहले हिमाचल प्रदेश के निचले क्षेत्र रियाली के किसान पंजाब में अपनी फसल बेचते थे लेकिन क़ृषि पर तीन कानून आने के बाद अब पंजाब में केवल वहीं किसान अपनी फ़सल बेच सकते हैं जिनकी जमीन पंजाब में हैं।

फसल बेचने के समय पंजाब का जमीन का पर्चा व अधार कार्ड होना जरूरी कर दिया गया हैं जैसे की हिमाचल प्रदेश में हैं। सरकार के नियमों के अनुसार प्रति एकड़ जमीन में उत्पाद की औसत के अनुसार ही फसल खरीदी जा रही हैं ऐसे में हिमाचल के किसान जो पंजाब में अपनी फ़सल बेचते थे वे किसी पंजाब के किसान के नाम पर फ़सल बेचता था लेकिन उन्हें यह डर सताता रहता था कि कहीं उसका पैसा मर ना जाए क्योंकि फ़सल का पैसा उसी किसान के खाते में जाता था जिसके नाम पर फ़सल दर्ज होती थी। इसी समस्या को देखते हुए हिमाचल प्रदेश सरकार ने मिलवा, रियाली तथा फतेहपुर में मंडियां खोल दी लेकिन अब समस्या यह आना पड़ी हैं कि सरकार ने धान की खरीद तो कर ली लेकिन उसे लिफ्ट करने का प्रोसेस बढा धीमा है। मात्र दो शैलर राजा का बाग़ तथा दलियारा में स्थित हैं। मात्र 2500 क्वांटल धान से चावल बनाने को दिए जा रहे हैं उस पर भी एक शर्त लगा दी है कि जबतक दिए धान का चावल शैलर से वापिस नहीं आता तब तक दूसरी खेप नहीं दी जाएगी जो कि अनुचित हैं।

संवाददाताः विनय महाजन

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